अभी भी कर सकते हैं पछेती सब्ज़ियों की बुआई

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अभी भी कर सकते हैं पछेती सब्ज़ियों की बुआईसीतापुर जि़ले के कृषि विज्ञान केन्द्र, कटिया के कृषि वैज्ञानिक डीएस श्रीवास्तव बताते हैं, ‘‘किसान मटर, गोभी, लौकी, मूली, पालक, धनिया और चुकन्दर की खेती कर सकते हैं।’’

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। ‘‘रबी मौसम में उगाई जाने वाली सब्जि़यों की बुवाई की जा चुकी है। इसके अलावा अगर अब कोई किसान सब्ज़ी की खेती करना चाहता है तो वो अभी भी कुछ सब्जि़यों की बुवाई कर सकता है।’’

सीतापुर जि़ले के कृषि विज्ञान केन्द्र, कटिया के कृषि वैज्ञानिक डीएस श्रीवास्तव बताते हैं, ‘‘किसान मटर, गोभी, लौकी, मूली, पालक, धनिया और चुकन्दर की खेती कर सकते हैं।’’

मटर की बुवाई

सम्पूर्ण भारत में मटर का प्रयोग सब्ज़ी के रूप में किया जाता है लेकिन उत्तर प्रदेश में इसकी खेती एक बड़े क्षेत्र में की जाती है। इसकी खेती उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार एवं कर्नाटक में अधिक की जाती है। किसान मटर की बुवाई नवम्बर के आखिरी तक कर सकते हैं। मटर की प्रमुख प्रजातियां निम्न हैं। आजाद पी-1, बोनविले, जवाहर मटर-1, आजाद पी-2

ऐसे करें खेत की तैयारी

खेत की पहली जुताई हल से और बाद में तीन-चार जुताई कल्टीवेटर से कर अच्छे से भूमि समतल कर भुरभुरा बना लेना चाहिए व आिखरी जुताई के बाद पाटा लगाकर नमी दबा देना चाहिए, जिससे बुवाई के समय नमी बनी रह सके।

100 से 120 किग्रा. प्रति हेक्टेयर बीज लगता है। बीज जनित रोगों से बचाव के लिए दो ग्राम थीरम या तीन ग्राम मेन्कोजेब से प्रति किग्रा बीज को उपचारित करना चाहिए। 200 ग्राम राइजोबियम कल्चर 10 किग्रा बीज में मिलाकर छाया में सुखाने के बाद ही बुवाई करनी चाहिए। बुवाई लाइनों में हल के पीछे 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर करनी चाहिए, लाइन से लाइन की दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर रखी जाती है।

पोषण प्रबंधन

आखिरी जुताई में खेत की तैयारी के समय 200 से 250 क्विंटल गोबर की खाद मिला देना चाहिए, फिर भी अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए 40 से 50 किग्रा नत्रजन, 50 किग्रा फास्फोरस तथा 40 किग्रा पोटाश तत्व के रूप में देना आवश्यक है। आधी मात्रा नत्रजन पूरी मात्रा फास्फोरस व पोटाश की बुवाई करते समय तथा शेष आधी मात्रा नत्रजन का छिड़काव बुवाई के 25 से 30 दिन बाद करना चाहिए।

जल प्रबंधन

इसमें आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए लेकिन फसल में फूल आने पर तथा फलियों में दाना पड़ते समय नमी रहना ज़रूरी है।

खरपतवार प्रबंधन

फसल की प्रारंभिक अवस्था में सिंचाई से पहले हल्की निराई-गुड़ाई कर खरपतवारों को निकाल देना चाहिए जिन खेतों में अधिक खरपतवार उगते हैं वहां पर रसायनों का प्रयोग करना चाहिए जैसे कि बुवाई के बाद एक-दो दिन के अंदर ही जमाव के पहले पेंडीमेथलीन की 3.3 लीटर मात्रा को 1000 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।

कीट प्रबंधन

इसमें पत्ती में सुरंग बनाने वाले गिडार एवं फली बेधक कीट लगते है। सबसे पहले कीट वाले पौधों को उखाड़कर अलग कर देना चाहिए। फली बेधक दिखने पर बैसिलसफ्यूरीजेंसिस 1 किग्रा या फेनवेलरेट 750 मिलीलीटर या मोनोक्रोटोफॉस एक लीटर को पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए।

फसल सुरक्षा है बहुत जरूरी

जाड़े के मौसम में फसल में झुलसा रोग लगने की संभावनाएं अधिक रहती हैं। ऐसे में किसानों को अपनी फसल का खास ध्यान रखना चाहिए। डॉ. डीएस श्रीवास्तव बताते हैं, ‘अगर फसल में झुलसा रोग लग जाए तो किसान को मेटालोजिल और मैंकोजेब को मिला कर उसका छिड़काव करना चाहिए और अगर फसल में कीड़े लगे हो तो किसान उसके लिए नीम की पत्तियां या बिनौले, शरीफा की पत्तियां, मदार की पत्ती, थोड़ी सी हींग, दो सौ ग्राम लहसुन और दस लीटर गौ मूत्र लेकर मिश्रण तैयार कर लें, फिर उसे तब तक उबलें जब तक वो मिश्रण आधा न बचे। उसके बाद उस मिश्रण को 600 लीटर पानी में मिलें। इतने मिश्रण को किसान एक हेक्टेयर में छिड़काव करें। सभी तरह के कीटों से छुटकारा मिल जाएगा।’

लौकी की बुवाई

किसान अभी लौकी की भी बुआई कर सकता है। किसान कल्यानपुर लम्बी हरी, आजाद हरित, आजाद नूतन व पूसा नवीन ये प्रजातियों की बुवाई कर सकता है।

ऐसे करें बीज बुवाई की तैयारी

चार से पांच किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज उपयुक्त होता है। बीज शोधन दो ग्राम थीरम या बाविस्टीन से प्रति किग्रा बीज का उपचार करना चाहिए। बुवाई बीज उपचार करने के बाद ही करनी चाहिए जिससे जमीन या भूमि से पैदा होने वाले रोग न लग सकें।

बुवाई के लिए तीन से चार मीटर की दूरी पर एक मीटर चौड़ी बनी नाली में दोनों मेड़ों पर अंदर की ओर 60-70 सेंटीमीटर के अन्तराल पर बीजों को मेड की आधी ऊंचाई पर बुवाई करनी चाहिए। बुवाई करने से पहले नाली में पानी लगा देना चाहिए और ओट आने पर बुवाई की जानी चाहिए, जिससे कि हमारा बीज पूर्णतय: जमाव ले सके और जहां पर हम 60 सेंटीमीटर की बुवाई करेंगे उसके बुवाई करने के बाद उसपर सड़े गोबर की खाद थोड़ी-थोड़ी ऊपर से ढक देनी चाहिए, जिससे गर्मी पाकर जमाव अच्छा हो सके, जायद की फसल के लिए क्योंकि इस समय तापमान कम रहता है।

इसके लिए 200-250 क्विंटल सड़ी गोबर की कम्पोस्ट या कम्पोस्ट खाद प्रति हेक्टयर के हिसाब से खेत की आखिरी जुताई के समय मिला देना चाहिए, इसके लिए 120 किग्रा नत्रजन, 100 किग्रा फास्फोरस और 80 किग्रा पोटाश तत्व के रूप में देना चाहिए, नत्रजन की आधी मात्रा व फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा आखिरी जुताई के समय मिला देना चाहिए, नत्रजन की शेष आधी मात्रा खड़ी फसल में दो बार में प्रयोग करते हैं जिससे की हमें फसल की पैदावार अच्छी मिल सके।

फूल गोभी और पत्ता गोभी की बुवाई

वैसे तो फूल गोभी और पत्ता गोभी की बुवाई की जा चुकी है लेकिन अगर किसान इसकी बुवाई करना चाहते हैं तो वो इसकी पौध बाहर से खरीद कर फसल लगा सकते हैं।

ऐसे करें खेत की तैयारी

सबसे पहले खेत की जुताई कर लें, उसके बाद प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में 50 किलो डीएपी, 20 किलो फास्फोरस और 25 किलो नाइट्रोजन और साथ में पांच से दस कुन्तल प्रति एकड़ के हिसाब से गोबर की खाद डालकर खेत तैयार करें।

ऐसे करें पौध उपचार

पौधों की रोपाई करने से पहले ट्राइकोडर्मा के घोल में पौधों की जड़ों को डुबोकर करीब दस से बीस मिनट के लिए रख दें, उसके बाद रोपाई करें। ऐसा करने से जड़ के कीटों के लगने की संभावनाएं बहुत कम हो जाती है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

      

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