अच्छी सेहत की पोटली हैं ये सब्जियां

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अच्छी सेहत की पोटली हैं ये सब्जियांसभी पौधे किसी ना किसी औषधीय गुणों को समाहित किए हुए हैं, सब्जियों के भी अनेक औषधीय गुण होते हैं।

औषधीय पौधों के बारे में सारी दुनिया जानती है और अक्सर लोगों की मान्यता होती है कि औषधीय पौधे सिर्फ जंगलों में ही पाए जाते हैं। वास्तविकता यह है कि लगभग सभी वनस्पतियों में औषधीय गुण पाए जाते हैं, किंतु सिर्फ कुछ पौधों के गुणों से ही हम परिचित हैं और अनेक वनस्पतियों के गुणों को हमने समझने की कोशिश ही नहीं की। हमारे इर्दगिर्द पाए जाने वाले सभी पौधे किसी ना किसी औषधीय गुणों को समाहित किए हुए हैं, यहां तक की सब्जियों के भी अनेक औषधीय गुण होते हैं। आखिर क्या हैं सब्जियों के औषधीय गुण? किस तरह आदिवासी सब्जियों का इस्तेमाल विभिन्न रोगोपचारों के लिए करते हैं? आइए जानते हैं सब्जियों के औषधीय गुणों को और बांटता चलूं अपने अनुभवों को आप सभी पाठकों के साथ..

भिंडी

महिलाओं की उंगलियों की तरह दिखने वाली फल्लियों की वजह से अंग्रेजी भाषा में इसे लेडीस फिंगर भी कहा जाता है। भिंडी अत्यधिक प्रचलित सब्जियों मे से एक है जो घरों के बगीचों से लेकर खेतों में विस्तार से उगाई जाती है। सामान्यत: लोग इसे सिर्फ एक सब्जी के तौर पे देखते है लेकिन आदिवासी हल्कों में इसे अनेक रोगों के उपचार हेतु प्रयोग में लाया जाता है। पातालकोट के भुमका नपुंसकता दूर करने के लिये कच्ची भिंडी को चबाना बेहतर समझते है, वहीं डाँग-गुजरात के आदिवासी हर्बल जानकार भिंडी का काढ़ा तैयार कर सिफलिस के रोगी को देते है। भिंडी के बीजों को एकत्र कर सुखाया जाता है और बच्चों को इसका चूर्ण खिलाया जाता है, माना जाता है कि ये बीज प्रोटीनयुक्त होते है और उत्तम स्वास्थ्य के लिये बेहतर हैं।

मेथी

मेथी बहुत ही कारगर औषधि है। इसकी पत्तियों की तरकारी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसके बीजों में फॉस्फेट, लेसिथिन और न्यूक्लिओ-अलब्यूमिन होने से ये कॉड लिवर ऑयल जैसे पोषक और बल प्रदान करने वाले होते हैं। इसमें फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, नियासिन, थियामिन, कैरोटीन आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं। मेथी पाचन शक्ति और भूख बढ़ाने में मदद करती है। आधा चम्मच मेथी दाना को पानी के साथ निगलने से अपचन की समस्या दूर होती है। मेथी के बीज आर्थराइटिस और साईटिका के दर्द से निजात दिलाने में मदद करते हैं। इसके लिए एक ग्राम मेथी दाना पाउडर और सोंठ पाउडर को थोड़े से गर्म पानी के साथ दिन में दो-तीन बार लेने से लाभ होता है।

टमाटर

टमाटर का उपयोग हर भारतीय किचन में सब्जी बनाने के लिए किया जाता है। इसे सलाद, चटनी, सूप और अन्य कई प्रमुख व्यंजनों में उपयोग में लाया जाता है। टमाटर में पाये जाने वाले विटामिन्स की खासियत यह है कि ये गर्म करने से खत्म नहीं होते हैं और आदिवासियों की मानी जाए तो यह संतरा और अंगूर से ज्यादा लाभदायक होता है। पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार टमाटर दांतों और हडि्डयों की कमजोरी दूर करता है। जिन लोगों को रक्त-अल्पता की शिकायत है उन्हें एक गिलास टमाटर का रस पिलाया जाए तो रक्तहीनता दूर होकर खून की वृद्धि होती है।

कटहल

ग्रामीण अंचलों में सब्जी के तौर पर खाया जाने वाला कटहल कई तरह के औषधीय गुणों से भरपूर है। कटहल के फलों में कई महत्वपूर्ण प्रोटीन्स, कार्बोहाईड्रेड्स के अलावा विटामिन्स भी पाए जाते हैं। सब्जी के तौर पर खाने के अलावा कटहल के फलों का अचार और पापड़ भी बनाया जाता है। कटहल की पत्तियों की राख अल्सर के इलाज के लिए बहुपयोगी होती है। पके हुए कटहल के गूदे को अच्छी तरह से मैश करके पानी में उबाला जाए और इस मिश्रण को ठंडा कर एक गिलास पीने से जबरदस्त स्फूर्ति आती है, वास्तव में यह एक टॉनिक की तरह कार्य करता है। यही मिश्रण यदि अपचन से ग्रसित रोगी को दिया जाए तो उसे फायदा मिलता है।

ग्वार फल्ली

घर-घर में खाई जाने वाली प्रमुख सब्जियों में से ग्वार फल्ली एक है जिसकी खेती वृहद स्तर पर की जाती है। डांग- गुजरात के आदिवासी इसके फल्लियों को सुखाकर चटनी तैयार करते हैं और मधुमेह के रोगी को 40 दिनों तक दिन में चार बार प्रतिदिन देते हैं, इनका मानना है कि ये काफी फायदा करता है। पातालकोट के आदिवासी का मानना है कि फल्लियों के बीजों को रात भर पानी में डुबोकर रखा जाए और अगले दिन सूजन, जोड़ दर्द और जलन देने वाले शारीरिक भागों पर लगाने से अतिशीघ्र आराम मिलता है। कच्ची फल्लियों को चबाया जाए तो यह मधुमेह के रोगियों के लिए हितकर होता है।

फराशबीन

फराशबीन भारत वर्ष में प्रचलित फल्लियों की सब्जियों में से एक प्रमुख सब्जी है। फल्लियों की अन्य सब्जियों की तुलना में इसमें ज्यादा कैलोरी पाई जाती है और इसमें प्रोटीन की मात्रा कम होती है। प्रोटीन की मात्रा कम होने की वजह से बुजुर्गों के लिए ये उत्तम भोज्य है। फराशबीन में मुख्यत: फोलिक अम्ल, विटामिन-सी, मैग्नीशियम, पोटेशियम और जस्ते जैसे खनिज तत्वों की प्रचुरता होती है। आधुनिक विज्ञान इसके फल्लियों के रस से इंसुलिन नामक हार्मोन के स्राव होने का दावा करता है इसलिए इसे मधुमेह (शुगर) में उपयोगी माना जाता है। डांग-गुजरात के आदिवासी इसकी फल्लियों को पीसकर या कद्दूकस पर घिसकर मोटे कपड़े से इसका रस छान लेते है और इस रस को कमजोर शरीर और बुखार से ग्रस्त रोगियों के देते है। उनके अनुसार इसमें पोषक तत्व की भरपूर मात्रा होती है और ये कमजोरी को दूर भगाने में कारगर फार्मूला है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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