जब तिलहन का उत्पादन बढ़ाने की केंद्र की मुहिम पहुंची किसान के खेत

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
जब तिलहन का उत्पादन बढ़ाने की केंद्र की मुहिम पहुंची किसान के खेतनेशनल मिशन ऑन आयल सीड एंड आयल पाम योजना के तहत किसानों को जागरुक कर रहे वैज्ञानिक।

दीपांशु मिश्रा (स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क)

बाराबंकी। भारत में हर वर्ष अपनी ज़रूरत का 80 प्रतिशत खाने का तेल दूसरे देशों से आयात करता है। इसका मुख्य कारण यह है किसान अब तिलहनी फसलों से मुंह मोड़ता जा रहा है। किसानों को तिलहन उगाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार की एक योजना के तहत वैज्ञानिक अब गाँव-गाँव जाकर जागरूकता फैला रहे हैं।

बाराबंकी जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर निन्दूरा ब्लॉक के नरायनपुर गाँव में आयोजित किये गये तिलहनी फसलों के एक प्रशिक्षण में बड़ी संख्या में किसानों को तिलहनी फसलों के फायदे गिनाए गए। प्रशिक्षण को किसानों के लिए उपयोगी बताते हुए बाराबंकी जिले के कृषि रक्षा प्रभारी सत्येन्द्र कुमार प्रजापति ने बताया कि किसानों को ज्यादा से ज्यादा तिलहन की उत्पादकता को बढ़ाना चाहिए। इसके लिए किसानों को उनकी अच्छी खेती पर 3000 रुपए की सम्मान राशि भी देने की योजना है।

केंद्र सरकार द्वारा नेशनल मिशन ऑन आयल सीड एंड आयल पाम योजना इसीलिए चलाई जा रही है ताकि तिलहन की उत्पादकता को देशभर में बढ़ाया जा सके। भारत में ज़रूरत को पूरा करने के लिए अभी काफी मात्रा में दालों और खाद्य तेलों का आयात किया जाता है। देश में हर साल 40-50 लाख टन दालें और 1.3 से 1.4 करोड़ टन खाद्य तेल का आयात होता है।

सिर्फ गोष्ठी ही नहीं देशभर के कृषि विभाग इस मिशन के तहत किसानों के खेतों में अपने ही खर्च पर परीक्षण करके भी दिखाएंगे, जैसा कि बाराबंकी में भी किया जा रहा है। यहां कृषि विभाग पांच हेक्टयर भूमि पर तिलहन के प्रदर्शन के लिए खेती करवाएगा। इस योजना के लिए जिला कृषि विभाग ने पहले से ही कुछ गाँवों को चिन्हित कर लिया है।

बाराबंकी के नरायनपुर गाँव में तिलहन की उत्पादकता को बढ़ाने की योजना के तहत प्रशिक्षण ले रहे किसान।

नरायनपुर गाँव में ही इस योजना में प्रशिक्षण ले रहे किसान सुरेश यादव (40 वर्ष) बताते हैं, "हमें अपनी फ़सल को लेकर को कई सवाल पूछे और उनका मुझे जवाब भी मिला कि कैसे हम अपनी फसल में बढोत्तरी ला सकते हैं और कम लागत में ज्यादा फसल कैसे कर सकते हैं।"

प्रशिक्षण के माध्यम से हम किसानों को तिलहनी फसलों की खेती के लिए जागरुक कर रहे हैं, पिछले कुछ वर्षों में तिलहन की खेती का रकबा घटा है, जो कि चिंता का विषय है।
सुशील कुमार अग्निहोत्री, कृषि खंड तकनीकी प्रबंधक

सरकार की तरफ से इस वर्ष तिलहनी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5000 रुपए प्रति कुंतल कर दिया गया है जो कि पिछले वर्ष से अधिक है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.