उत्तर प्रदेश में बढ़ेगा सौर ऊर्जा का दायरा
Devanshu Mani Tiwari 7 March 2017 2:40 PM GMT

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। प्रदेश में जल्द ही कंसेंट्रेटिंग सोलर हीट टेक्नोलॉजी (सीएसटी) पर आधारित सीएसटी सौर ऊर्जा प्लांटों को मंज़ूरी मिल सकती है। अभी तक गुजरात, महाराष्ट्र, चेन्नई और उत्तराखंड जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जा रहे सीएसटी सोलर प्लांट को अब यूपीनेडा भी बनाने की योजना बना रहा है।
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प्रदेश में सीएसटी आधारित सौर ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण पर नार्थ इंडिया सोलर कोनक्लेव में यूपीनेडा की निदेशक संगीता सिंह ने बताया, ‘’हम जल्द ही प्रदेश में कन्सेंट्रेटिंग सोलर हीट टेक्नोलॉजी (सीएसटी) पर आधारित प्लांटों का निर्माण करवाने की योजना बना चुके हैं। इसकी मदद से बड़ी मात्रा में स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों और धार्मिक स्थलों तक पर्याप्त बिजली व भोजन व्यवस्था में इस्तेमाल होने के लिए बिजली पैदा कर सकेंगे।’’
सौर-ऊष्मीय ऊर्जा ( सोलर थर्मल पावर) पर आधारित सीएसटी टेक्नोलॉजी मुख्यरूप से शीशे या फिर लेंस का इस्तेमाल करके सौर ऊर्जा के उत्पादन की नई तकनीक है। सीएसटी प्लांट के माध्यम से विकसित सौर ऊर्जा को (भाप) ऊष्मा में बदला जाता है, जो सीधे इंजन में जाती है।इंजन इस ऊष्मा को बिजली में बदल देता है। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार के निदेशक डॉ. आरपी गोस्वामी ने बताया कि कम स्थान का प्रयोग करके अधिक से अधिक सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिए सीएसटी तकनीक सबसे अच्छा विकल्प है।
इस तकनीक से 90 डिग्री सेल्सियस से लेकर 350 डिग्री सेल्सियस तक उष्मा बनाई जा सकती है। इसकी मदद से 10,000 हज़ार लोगों का भोजन आसानी से बनाया जा सकता है। सीएसटी तकनीक की मदद से अभी तक शिरडी सांई बाबा के प्रसादालय में हर रोज़ 15 से 20 हज़ार भक्तों के लिए भोजन, चेन्नई की एसआरएम यूनिवर्सिटी व उत्तराखंड की आईआईटी रुड़की की कैंटीन में हररोज़ पांच हज़ार से अधिक छात्रों को भोजन व गुजरात की अमूल दूध फैक्ट्री में मिल्क पाश्चराइजेशन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
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