एक टीके से दूर होंगी दो बीमारियां

Swati ShuklaSwati Shukla   26 Feb 2017 4:11 PM GMT

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एक टीके से दूर होंगी दो बीमारियांभारत में फैल रहे खसरे और रुबेला को रोकने के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। भारत में फैल रहे खसरे और रुबेला को रोकने के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। एक ही टीके के अर्न्तगत दो बीमारियों का इलाज किया जाएगा। 2020 तक खसरे और रुबेला को खत्म करने के उपाये किए जा रहे हैं। परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय ने खसरे को खत्म करने और रुबेला को नियंत्रित करने के प्रयास तेज कर दिए हैं।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में सालाना रुबेला और खसरे से लगभग 50 हजार लोगों की मौत होती है। मौजूदा टीकाकरण कार्यक्रम में इसका टीका अलग से तो मौजूद है, लेकिन अब इसके साथ रुबेला को मिलाकर दिया जाएगा। इस अभियान के अर्न्तगत 41 करोड़ बच्चों तक इस टीके को पहुंचाया जाना है। मीजल्स-रुबेला टीके 15 साल तक के बच्चों को लगाए जाएंगे। इसके लिए विशेषज्ञों की एक टीम बनाई गई है।

भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठा रही कि खसरे और रुबेला के विनाशकारी प्रभाव बच्चों और परिवारों को न झेलने पड़े। हमने भारत को पोलियो मुक्त बनाया है और अब देश से खसरे को खत्म करने और रुबेला को नियंत्रित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, अन्य सभी टीका निवारणीय रोगों से भी बच्चों की रक्षा की जा रही है।
सीके मिश्रा, सचिव , परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय

रुबेला और खसरा संक्रमण रोग है इसे खत्म करने के लिए एमएमआर के टीके आ रहे हैं। रुबेला का निशाना गर्भवती महिलाएं होती हैं, समय से पहले पैदा होने वाले बच्चे में कोंजेनाइटल रुबेला सिंड्रोम (सीआरएस) होने की भी आशंका होती है, जिसकी वजह से वह कई तरह के जन्मजात दोष पैदा हो सकते हैं। इसलिए रुबेला की वजह से गर्भवती महिलाओं को बहुत अधिक समस्या होती है।
एके मिश्रा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी , ओरैया

बच्चों को टीका लगवाने की खुराक

बच्चों को एमएमआर की दो खुराक लेनी चाहिए। पहली खुराक एक साल की उम्र में दी जानी चाहिए। एमएमआर की दूसरी खुराक प्राइमरी के सभी बच्चों को दी जानी चाहिए। एमएमआर को दूसरे जीवित टीकों के साथ या अलग से चार हफ्तों के अंतराल पर दिया जा सकता है। इस अभियान के तहत एक बार नौ महीने से लेकर 15 वर्ष तक के सभी बच्चों को यह टीका लगाने के बाद इसे रूटीन टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल कर लिया जाएगा। तब नौ से 12 महीने के दौरान इसकी पहली और 16 से 24 महीने के बीच दूसरी खुराक दी जाएगी। रुबेला भले ही गर्भवती महिलाओं को निशाना बनाता है, लेकिन इसको तभी समाप्त किया जा सकता है जब पूरी नई पीढ़ी में ही इस संक्रमण से लड़ने की क्षमता पैदा कर दी जाए।

क्या है रुबेला

रुबेला को जर्मन खसरा के नाम से जाना जाता है। रुबेला वायरस के द्वारा होता है। ये ज्यादातर गर्भवती महिलाओं को निशाना बनाता है। रुबेला विकसित हो रहे भ्रूण में असंगतियां पैदा करता है। जन्मजात रुबेला सिंड्रोम (सीआरएस) उन महिलाओं के बच्चों में होने की संभावना ज्यादा होती है जो गर्भावस्था के पहले तीन महीनों सें इससे संक्रमित हुई हों। इसके लक्षणों में बहरापन, अंधापन, दिल की विकृतियां और मानसिक विकास में कमी शामिल है।

खसरा के लक्षण

बच्चों में बुखार, सिरदर्द, शरीर पर लाल रंग के चकत्ते और कान के पीछे या गर्दन की लसीका ग्रंथियों में वृद्धि आमतौर पर इसके लक्षण हल्के होते हैं। कभी-कभी कोई भी लक्षण नहीं पाए जाते हैं।

     

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