केले की खेती में लागत का भी नहीं मिल रहा मूल्य, किसान छोड़ रहे खेती

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केले की खेती में लागत का भी नहीं मिल रहा मूल्य, किसान छोड़ रहे खेतीकिसानों को लागत ज्यादा लगानी पड़ रही और फसल अच्छी होने के बाद भी सही दाम नहीं मिल रहे। फोटो: महेंद्र पाण्डेय।

दीपांशु मिश्रा, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

बाराबंकी। पांच बीघे की खेत में केले की खेती कर रहे बाराबंकी के किसान श्याम सुन्दर यादव ने केले की खेती सिर्फ इसलिए छोड़ दी क्योंकि लागत तो ज्यादा आ रही थी लेकिन मुनाफा नहीं मिल रहा था।

बाराबंकी जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित सिपहियापुर गाँव में अपने एक साढ़े पांच एकड़ के खेत में श्याम सुन्दर यादव (55 वर्ष) केले की खेती करते थे, लेकिन उन्हें लागत ज्यादा लगानी पड़ रही थी और सही दाम नहीं मिल रहे थे इस वजह से उन्होंने केले की खेती छोड़ दी और अन्य फसलों की खेती करने लगे।

केले की खेती की शुरुआत बड़ी उम्मीदों के साथ मैंने की थी। सोचा था कि आगे भी करता रहूंगा लेकिन केले ने एक बार में ही ऐसा झटका दिया की दोबारा केले की खेती करने की हिम्मत नहीं पड़ी।
श्याम सुन्दर यादव, किसान

लागत जितना भी नहीं मिलता था मुनाफा

श्याम सुन्दर यादव आगे बताते हैं, “केले की खेती में मैं जितनी लागत लगाता था उतनी भी नहीं मिल पाती थी। केले में पहले खेत को जुतवाना उसके बाद जहां के केले का पेड़ लगाना होता है वहां गड्ढा करके गोबर डालना उसके कुछ दिन बाद केले का पेड़ लगाना। समय-समय पर खेत की गुड़ाई करवाना। इस सब चीजों में मैंने काफी पैसा खर्च किया लेकिन मिला कुछ नहीं।”

बाजार में नहीं मिलता है सही दाम

श्याम सुन्दर यादव बताते हैं “मैंने साढ़े पांच एकड़ में केले की खेती शुरू की और उसमें अच्छी लागत भी लगाई लेकिन जब बाजार केला लेकर पहुंचा तो लोग चार-पांच रुपये में केला खरीद रहे थे, जितने लेकर गया था उतना तो बेचा दिया लेकिन जो खेत में फसल लगी थी वो आस-पास के गाँव में बंटवा दी। हमें लाभ नहीं मिला कम से कम मिला गाँव के लोग तो इसका लाभ उठा लें।” वह आगे बताते हैं कि सरकार को चाहिए जब केला खरीद नहीं सकते तो केले का कुछ बनाकर ही बाहर ही भिजवाएं। अब मैंने केले की फसल करना छोड़ दिया है ऐसे ही सब छोड़ देंगे।

शुरू कर दी सब्जियों की खेती

केले की फसल में मुनाफा ना मिल पाने के बाद श्याम सुन्दर यादव ने कई प्रकार की सब्जियों की खेती शुरू कर दी जिससे उन्हें केले की खेती की अपेक्षा अधिक लाभ है। श्याम सुन्दर ने बताया, “केले की फसल से मुझे सब्जियों में अच्छा मुनाफा तो मिल रहा है। जो लागत लगाता हूं उससे ज्यादा कमा लेता हूं।”

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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