गाँव की युवतियों को खूब भा रहा ‘गुट्टा-तिकी’ का खेल

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गाँव की युवतियों को खूब भा रहा  ‘गुट्टा-तिकी’ का खेलगांव में एक साथ गुट्टा खेलती युवतियां।

रहनुमा बेगम, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

औरैया। एक ओर जहां आज-कल शहरों की युवतियां मनोरंजन के लिए टेलीविजन पर नाटक बगैरह देखती है वहीं आज के समय में गाँव की युवतियां टीवी न देख अपने पुराने खेल से मनोरंज करती हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में युवतियों को गुइयां बनाकर तिकी का खेल खेलना अभी भी बहुत पंसद है। मोहल्ले की सखियां इन्हें इकट्ठा होकर आपस में गुट्टे से तिकी के खेल से मनोरंजन करती है। जिला मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर पूरब दिशा में बसे भरसेन गाँव में एक साथ कई युवतियां गुट्टे का खेल एक साथ खेलती नजर आई। एक मोहल्ले की सभी सखियां इकटठा होकर दोपहर के समय तिकी बनाकर खेल खेलती है। भरसेन निवासी प्रिया (25वर्ष) इंटरमीडिएट तक शिक्षित हैं।

प्रिया बताती हैं, "दो गुटटे की एक तिकी बनाई जाती है। 10, 20 या फिर 40 तिकी बनाकर सखियों के साथ गुइया बनाकर खेल खेला जाता है। इस खेल में बहुत मजा आता है। गुटटों को हाथ में लेकर जब उछालते है तो दूर-दूर फैलाते है। अगर तिकी पास-पास में पडी होगी तो चाल टूट जाएगी इससे दूसरी सहेली ज्यादा तिकी गुइयां पर चढा देगी। इस खेल में जो हारता है उसके मस्तक पर माटी का टीका लगाया जाता है।

मिथौरी बनाकर खेलने में आता है मजा

तिकी खेल के अलावा एक पांच गुटटो का खेल और खेला जाता है जिसे ‘पचगुट्टा’ कहते है। पहले एक-एक गुट्टा उठाए जाते है, फिर दो-दो, इसके बाद तीन-एक उठाए जाते है। मिथौरी, कैंची, कुत्ता बनाकर, घर बनाकर, पान बनाकर बर्फी बनाकर खेल खेला जाता है। इसमें सिर्फ दो ही सहेलियां खेलती है।

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