गाँव की लड़कियां करती है, गोल पर गोल

Swati ShuklaSwati Shukla   27 Jan 2017 7:04 PM GMT

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गाँव की लड़कियां करती है, गोल पर गोलखेल के साथ-साथ लड़कियों को साइंस, गणित और अग्रेजी भी पढ़ाई जाती है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। राजधानी के सरकारी स्कूलों के बच्चों को फुटबॉल सिखाया जा रहा है। ये प्रकिया सरकार की तरफ से नहीं है। इसका जिम्मा उठाया है तत्व फांउडेशन ने। खेल के साथ-साथ लड़कियों को साइंस, गणित और अग्रेजी भी पढ़ाई जाती है।

पूर्व माध्यमिक कन्या विद्यालय की कक्षा आठ में पढ़ रही अंजू प्रजापति 14 वषर् बताती है, "स्कूल में फुटबॉल खेलने पर घर वालों ने मना किया लेकिन मेरा मन करता था कि मैं अपने स्कूल की बाकी लड़कियों की तरह फुटबॉल सीखूं। कई बार घर में फुटबॉल खेलने पर डांट पड़ी उसके बाद भी रोज यहां पर खेलती हूं। धीरे-धीरे घर वालों ने डांटना बन्द कर दिया। अब हम ये खेल सीख गये है।"

पूर्व बौद्धिक शिक्षा के साथ-साथ शारीरिक शिक्षा पर भी जोर दिया जा रहा है। यहां पर पढ़ने वाली सरकारी स्कूल की लड़कियां पढ़ाई के साथ-साथ फुटबॉल खेल रही हैं। जिला मुख्यालय से मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर चिनहट ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक कन्या विद्यालय में पढ़नेकक्षा आठ में पढ़ने वाली खुशनुमा (14 वर्ष) बताती है, "मुझे खेलना अच्छा लगता है, एक साल से फुटबॉल खेल रहीं हूँ। मेरा भाई मुझसे बोलता है लड़कियां फुटबॉल नहीं खेल सकती मैं अपने भाई को ही दिखाना चाहती हूं कि लड़कियां भी अच्छा फुटबॉल खेल सकती है इसलिए मैं यहां पर रोज फुटबॉल खेलती हूं।"

विद्यालय में ने केवल फुटबॉल खिलाया साथ ही साइंस के लिए भी अलग से शिक्षकआती है। यहां पर बच्चों के लिए साइंस, गणित, और अंग्रेजी भी सिखाई जाती है कक्षा आठ पढ़ने वाले सभी बच्चे साइंस प्रैक्टिकल भी करती हैं। वैसे तो स्कूल में छह शिक्षक है लेकिन साइंस विषय पढ़ाने के लिए कोई शिक्षक नहीं है।"

विद्यालय में लड़कियों को साइंस पढ़ाने के लिए पास के सेमरा गाँव में रहने वाली शिक्षिका नजनीन सिद्दीकी बताती है,"इस स्कूल में साइंस के लिए कोई शिक्षक नहीं था तभी इस तत्व संस्था के माध्यम से यहां दो घण्टे की क्लास लेते है। 72-72 लड़कियों के बेच है जिसमें साइंस पाढ़ते है। यहां पढ़ाने पर 35 सौ रुपये मिलते है। ये लड़कियां पढ़ने में भी अच्छी हो गई है।"

तीन साल की लड़कियां फुटबॉल की प्रेक्टिस कर रही हैं बहुत साथ ही प्रतियोगिता भी जीती है। शुरू शुरू में सारे बच्चे फुटबॉल खेलते थे लेकिन उनमें से कुछ लड़कियां फुटबॉल में खास रुचि दिखाने लगी जिससे इन लोगों की 11 प्लेयर की टीम बनी जो लगातार कई प्रतियोगिताएं भी जीती लखनऊ में कई प्रतियोगिताएं हुई। अर्न्तविधालय प्रतियोगीता में यहां की लड़कियों ने भाग लिया था। जिनमें लड़कियों ने अपने स्कूल का नाम रोशन किया अंतर राज्य प्रतियोगिता में यह प्रथम स्थान प्राप्त किया था।

कक्षा आठ पढ़ने वाली नूरी बानो (13 वषर्) बताती है " टी.वी पर फुटबॉल देखते है पर कभी खेला नहीं। स्कूल में पहली बार फुटॅाबाल खेला है, ये खेल बहुत अच्छा लगता है। अपने स्कूल में सबसे अच्छा फुटबॅाल मैं खेलती हूं। जब प्रतीयोगीता होती है, वहां भी जाती हूं।''

तत्त फांउडेशन फिल्ड कोऑर्डिनेटर धर्मेंद्र कुमार वर्मा बताते हैं, "2 साल में बच्चों को फुटबॉल सिखा रहे है। फुटबॉल हम चार स्कूलों में और सिखाते है। सरकरी स्कूलों में शारीरिक शिक्षा पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण बच्चे खेल में भी आगे बढ़ जितने वह पढ़ाई में सरकारी स्कूलों में खेल के लिए जागरुक नहीं किया जाता है,लेकिन हम लोग लगातार प्रयास कर रहे हैं कि लड़कियां खेल में भी आगे हैं।"

तत्व फाउडेशन के तहत चार स्कूलों में फुटबॉल और साइंस की शिक्षा दे रहे है। लेकिन हमारा लक्ष्य 50 स्कूल का है जिनमें हम लड़कियों को गणित विज्ञान अंग्रेजी के साथ-साथ खेल में भी आगे निकाले।दृष्टि बाजपेई, खुशनुमा, फातिमा, श्वेता प्रजापति, साइमा, कमला थारु, मौसमी प्रजापति, ईना राजभर, सबीना बानो, अंजू प्रजापति,सबीना ।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

  

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