और जब गांव की एक लड़की को मिला ‘स्ट्रांग वीमेन ऑफ नार्थ इण्डिया’ का खिताब

Neetu SinghNeetu Singh   17 March 2017 3:45 PM GMT

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और जब गांव की एक लड़की को मिला ‘स्ट्रांग वीमेन ऑफ नार्थ इण्डिया’ का खिताबभारोत्तोलन खेलकर गाँव से निकलकर एक लड़की कई गोल्ड और सिल्वर मेडल जीत सकी।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

हरदोई (यूपी)। “कभी नहीं सोचा था कि लड़कों का खेल भारोत्तोलन को खेलकर गाँव से निकलकर एक लड़की कई गोल्ड और सिल्वर मेडल कैसे जीत सकेगी। लोग कहते थे, भारोत्तोलन खेल लड़कों का खेल है, इसे लड़कियां नहीं खेल सकती हैं मगर मेरे पति और पिता के सहयोग से यह खेल मेरा कैरियर बन गया।“ यह कहना है हरदोई जिले की रहने वाली पूनम तिवारी (48 वर्ष) का।

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हरदोई जिला मुख्यालय से महज एक किलोमीटर की दूरी पर नयी बस्ती में रहने वाली पूनम तिवारी आज हरदोई जिले की कई लड़कियों को भारोत्तोलन खेल की ट्रेनिंग दे चुकी हैं। इनके सिखाए 16 बच्चे नेशनल स्तर पर भी खेल चुके हैं। इसमें पांच को गोल्ड मेडल मिला है।

भारत सरकार की ओर से ‘साउथ एशियन गेम’ में रेफरी रह चुकी पूनम तिवारी बताती हैं, “मुझे सात-आठ गोल्ड और सिल्वर मेडल मिल चुके हैं। बचपन से ही मेरी खेलों में रुचि थी। मंडल स्तर पर कैप्टन भी कई बार रही। शादी के बाद भी मेरी खेलों की रुचि बनी रहेगी, यह मैंने कभी सोचा नहीं था। मेरे घर में बहुत आर्थिक तंगी थी और खेल के लिए पर्याप्त सुविधाएं मुझे कभी नहीं मिली।“

वो आगे कहती हैं, “इन असुविधाओं के बावजूद जब कई बार मुझे पावर लिफ्टिंग में राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मेडल मिले तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मेरी तीनों बहनें और दोनों भाई भी राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं।

स्ट्रांग वीमेन ऑफ नार्थ इण्डिया का मिला खिताब

स्ट्रांग वीमेन ऑफ यूपी और स्ट्रांग वूमेन ऑफ नार्थ इण्डिया के खिताब से सम्मानित पूनम यूपी स्ट्रेंथ लिफ्टिंग में सचिव हैं और भारत फेडरेशन की सदस्य भी हैं। पूनम बताती हैं, “मुझे आज भी वो दिन याद है जब वर्ष 2001 में मुझे पहली बार पावर लिफ्टिंग में साउथ कोरिया जाना था और उसी समय मेरे पापा का दिल का ऑपरेशन होना था। मेरा जाने का बिल्कुल मन नहीं था, मगर पापा ने मुझे जोर देकर भेजा। वहां जाने के लिए भी पैसे नहीं थे। मेरे कुछ साथियों ने पैसे इकट्ठा किये और तब मैं साऊथ कोरिया खेलने गयी।” वो खुश होकर बताती हैं, “वहां पर मैंने गोल्ड मेडल जीता। मुझे और मेरे पति राजधर मिश्रा को मेडल के साथ 20-20 हजार की चेक भी मिली। उन पैसों से मैंने अपने पापा का इलाज करवाया।

पति ने दिया प्रशिक्षण

पूनम अपने पति राजधर मिश्रा, जो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं, उनके बारे में बताती हैं, “जब मुझे भारोत्तोलन का प्रशिक्षण चाहिए था, उस समय लखनऊ में इसके लिए कोई कोच नहीं थे। तब मेरे पति सप्ताह में एक दिन हरदोई आकर मुझे प्रशिक्षण देते थे। तब कहीं जाकर मैंने मेडल जीते। मैंने 2002 में भारोत्तोलन से कोच का कोर्स किया और आज मै हरदोई में संविदा पर जॉब कर रही हूं।” अब राष्ट्रीय पावर लिफ्टिंग जम्मू में पूनम तिवारी प्रदेश की कोच बनकर जा रही हैं, जो आगामी 23-26 मार्च को होगा। इसमे हरदोई जिले की चार लड़कियां जा रही हैं, जिसमे तीन लड़कियां पूनम तिवारी की सिखाई हुई हैं।

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