डॉक्टर की कमी के कारण उपकेंद्र बना खंडहर

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डॉक्टर की कमी के कारण उपकेंद्र बना खंडहरअपने उचित इंतजाम के लिए खुद तरस रहा स्वास्थ्य सुविधा केंद्र।

जीत नाग (कम्यूनिटी रिपोर्टर)

बेलहरा (बाराबंकी)। गाँव में स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के बड़े-बड़े दावे सरकार करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। ग्रामीण इलाकों में सीएचसी व पीएचसी और एएनएम द्वारा संचालित कुल केंद्रों की संख्या करीब 24,728 है, जबकि आबादी के मुताबिक 37,502 केंद्र होने चाहिए। मौजूदा स्वास्थ्य केंद्रों पर टेक्निकल स्टॉफ की भी भारी कमी है। इन केंद्रों के लिए करीब 16226 कर्मचारी (स्टॉफ नर्स, लैब टेक्निशियन, एक्स-रे और पैरामेडिकल स्टॉफ ) होने चाहिए, जबकि पूरे प्रदेश में सिर्फ 10,226 ही कार्यरत हैं।

बाराबंकी जिले के विकास खण्ड फतेहपुर के ग्राम भटुवामऊ गाँव का मिनी प्राथमिक स्वास्थ उपकेन्द्र का निर्माण आठ वर्ष पूर्व हुआ था, लेकिन आज तक ग्रामीणों को स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पाया है। इसी गाँव के निवासी अशरफ अली (51 वर्ष) बताते हैं, "गाँव में आठ साल पहले अस्पताल की नीव रखी गई तो हम ग्रामीणों में एक उत्साह की लहर दौड़ गई की अब बीमार होने पर हमें दूर नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन देखते ही देखते आठ वर्ष बीत गए हम ग्रामीणों को इलाज के नाम पर सिर्फ धोखा ही मिला है।" अशरफ आगे बताते हैं, "ग्रामीणों की स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर एक विरान भवन के अलावा, कुछ नहीं है। जिसे सरकार ने लाखों रुपये खर्च करके बनवाया है।"

आलोक कुमार गर्ग (48 वर्ष) बताते हैं, "स्वास्थ्य उपकेंद्र में डॉक्टर एक तो आते नहीं अगर आते भी हैं तो पता नहीं चलता और चले जाते हैँ। उपकेंद्र का भवन रखरखाव के अभाव में जर्जर हो चुका है। स्वास्थ सुविधा हेतु हैण्डपम्प, पानी टंकी, सौर ऊर्जा लाइट जैसी कई व्यवस्था भी की गई थी, लेकिन आज यह सारी व्यवस्थाऐ धीरे-धीरे उपकेंद्र से लुप्त हो चुकी है भवन एक विरान खण्डहर बनकर रह गया है।" आलोग आगे बताते हैं, "आज तक कोई भी अधिकारी इसकी बदहाली को देखने नहीं आया अगर कोई आया होता तो आज इसकी हालत यह न होती।"

करीब चार साल से 5,000 डॉक्टरों की कमी है। स्वास्थ्य विभाग, लोक सेवा आयोग को भर्तियों के लिए बोलता है, लेकिन जितनी भर्तियां होती हैं उससे ज्यादा डॉक्टर रिटायर हो जाते हैं। साथ ही, नियुक्तियों के अनुपात में डॉक्टर सरकारी नौकरी के लिए आवेदन ही नहीं करते हैं।”
डॉ. बीएस अरोड़ा, एनआरएचएम के वरिष्ठ सलाहकार और पूर्व डीजी हेल्थ

ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों की बड़ी समस्याएं

  1. ओपीडी का न चलना
  2. डॉक्टरों का न होना
  3. बिजली/पावर बैकअप का न होना
  4. बिजली न होने से फ्रीजर नहीं चल पाते
  5. स्टाफ क्वार्टर में सुविधाओं का न होना

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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