कहां जाएंगे स्मार्ट सिटी में रेहड़ी-पटरी वाले?

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कहां जाएंगे स्मार्ट सिटी में रेहड़ी-पटरी वाले?स्मार्ट सिटी के बने से रेहड़ी-पटरी वालों को बेरोजगार होने का डर सता रहा है।

बसंत कुमार, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। प्रदेश में सरकार बदलते ही प्रधानमंत्री नरेंद मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट शहरों को स्मार्ट बनवाने के काम में तेजी आई है। लखनऊ भी स्मार्ट सिटी बनने की सूची शामिल में हैं। काम में तेजी के साथ ही कैसरबाग इलाके के रेहड़ी-पटरी वालों को बेरोजगार होने का डर सता रहा है।

बता दें कि भारत में शहरों को स्मार्ट बनाने की 100 शहरों के नामों की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2015 को किया था। इसमें उत्तर प्रदेश के 13 शहर शामिल है। राजधानी लखनऊ में स्मार्ट सिटी के अंतर्गत सबसे ज्यादा क्षेत्र कैसरबाग का है, इसलिए इस क्षेत्र में सबसे पहले काम शुरू होगा। इस क्षेत्र में नगर निगम तेजी से काम कर रहा है।

कैसरबाग में कबाड़ की दुकान चलाने वाले मो. गुफरान (उम्र 40 वर्ष) बताते हैं, “हम लोग यहां 30 साल से ज्यादा समय से दुकान चला रहे हैं, लेकिन अब नगर निगम के अधिकारी इसे बंद करने के लिए बोल रहे हैं। हम जिला न्यायालय और उच्च न्यायालय इस मसले को लेकर गए तो कोर्ट ने स्टे लगा दिया है। कोर्ट द्वारा स्टे लगाये जाने के बावजूद भी निगम के अधिकारी हर सप्ताह दुकान तोड़ने चले आते हैं।

कैसरबाग में स्मार्ट सिटी के तरत अनुमानत 550 करोड़ रुपये खर्च किया जाना है। इसको लेकर प्रोपोजल निगम के अधिकारी तैयार कर चुके हैं, जिसे 3 अप्रैल को मंडला आयुक्त के पास पेश किया जाएगा। इस योजना के तहत शहर को खूबसूरत बनाने के लिए पानी निकासी, पानी की समय पर सप्लाई के साथ सुरक्षा को ध्यान में रखा जाता है।

इस योजना के तहत कैसरबाग चौराहे के पास दस से पन्द्रह दुकाने हैं, जिसके निगम जल्द ही हटाने वाला है। दुकानदार अहमद खान सरकार को कोसते हुए कहते हैं कि हमारा मांस बेचने के कारोबार था, इस सरकार के शासन में वो भी बंद हो गया है। अब हमारी दुकान भी बंद होने वाली हैं। हम सड़क पर आ जाएंगे। सरकार हमें भूखे मारना चाहती है।

‘स्मार्ट सिटी में गरीब नहीं रहेंगे’

कैसरबाग चौराहे के पास बर्फ की दुकान चलाने वाले कल्लू कहते हैं कि स्मार्ट सिटी में गरीब नहीं होंगे। सरकार गरीबों को हटाकर शहर को स्मार्ट बनाना चाहती है। सरकार गरीबी दूर करने की कोशिश नहीं कर रही है वो ग़रीबों को ही हटा रही है। निगम के लोग आते हैं और हटने के लिए बोलते हैं। अभी सख्ती से नहीं हटाते, लेकिन अब जब काम को लेकर तेजी से काम हो रहा है तो जल्द ही हमें हटाया जाएगा। हम लोग सड़क पर आ जाएंगे।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

अपर नगर आयुक्त पीके श्रीवास्तव बताते हैं कि तीन अप्रैल को हम प्रोपोजल मंडला आयुक्त के पास रखेंगे। उसके बाद तय होगा कि कौन सा काम पहले होगा। फर्स्ट फेज का काम एक से दो सप्ताह में शुरू होने वाला है। इसको लेकर दिल्ली से विशेषज्ञों की टीम आई हुई हैं। वह आगे बताते हैं कि स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में अभी तो लखनऊ में कोई काम नहीं हुआ है। निगम ने काम को लेकर रोड मैप तैयार कर लिया है। इसके अलावा विस्थापित लोगों को कहीं स्थापित करने के सवाल पर श्रीवास्तव बताते हैं कि जो लोग जबरदस्ती सालों से रह रहे थे उन्हें क्यों जगह दी जाए। सरकार की ज़मीन पर उन लोगों ने कब्जा किया था।

स्मार्ट सिटी में क्या सुविधाएं

प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट समेत सिटी में लोगों को क्वालिटी ऑफ लाइफ, निवेश, रोजगार, ट्रान्सपोर्ट, आवास बिजली और पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और वाईफाई कनेक्टिविटी की बेहतर सुविधा देने का प्रावधान है। स्मार्ट सिटी के निर्माण के लिए 500 करोड़ केंद्र सरकार देगी और 500 करोड़ राज्य सरकार देगी।

तीन अप्रैल को हम प्रोपोजल मंडला आयुक्त के पास रखेंगे। उसके बाद तय होगा कि कौन सा काम पहले होगा। फर्स्ट फेज का काम एक से दो सप्ताह में शुरू होने वाला है।
पीके श्रीवास्तव, अपर नगर आयुक्त, लखनऊ

बिजली का कनेक्शन काट दिया

पेशे से वकील और स्थानीय निवासी असीम उस्मानी बताते हैं कि नगर निगम लोगों को बिना कहीं ठिकाना दिए हटा रही है। हम लोग यहां सालों से रह रहे हैं, लेकिन निगम के लोग स्थानीय निवासियों से बेहद कठोरता से पेश आ रहे हैं। कोर्ट के स्टे के बावजूद लोगों को परेशान किया जा रहा है। दुकानों से बिजली का कनेक्शन काट दिया गया। वहीं, चावल-दाल बेचने वाली सुमन देवी बताती हैं कि सरकार हमें मारना चाहती है। पढ़े-लिखे तो हम है नहीं, कि कोई दूसरा काम कर लें। अगर ठेला हट गया तो हम लोग भूखे मर जाएँगे।

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