केवीके की मदद से ऊसर जमीन में भी लहलहाई फसल 

Divendra SinghDivendra Singh   31 March 2018 1:52 PM GMT

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केवीके की मदद से ऊसर जमीन में भी लहलहाई फसल कुछ साल पहले तक जो खेत पूरी तरह से अनुपजाऊ और ऊसर थे, उसी खेत में फसल लहलहा रही है।

कुछ साल पहले तक जो खेत पूरी तरह से अनुपजाऊ और ऊसर थे, उसी खेत में इस बार फसल लहलहा रही है। कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), कालाकांकर के वैज्ञानिकों की मदद से जिले के कई ब्लॉक में ऊसर भूमि को उपजाऊ बनाया जा रहा है।

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जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर रामपुर संग्रामगढ़ के कस्बा लतीफपुर गाँव में इस बार ऊसर खेत में सरसों की फसल बोई गई है। गाँव के किसान मंगल सरोज (40 वर्ष) कहते हैं, “हमारे यहां बहुत सी ऐसी जमीन है, जिसमें कुछ होता ही नहीं कई बार कोशिश की कुछ लगा दें लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। लेकिन केवीके की सहायता से यहां सरसों की अच्छी फसल आई है।”

कृषि विभाग के अनुसार जिले में पांच हजार से भी अधिक ऊसर जमीन थी, जिसमें से ऊसर सुधार विभाग, कृषि विभाग और केवीके की मदद से ऊसर सुधारने का काम हो रहा है।

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इस बार हमने ऊसर जमीन में सरसों की खेती की है, ये 100 से 110 दिन में तैयार हो जाएगी और प्रति हेक्टयर सात से आठ कुंतल उपज भी मिल जाएगी। ऊसर में शुरू में ऊसर अवरोधी फसलें ही लेनी चाहिए, जिसमें उपज भी ज्यादा मिलती है और ऊसर को उपजाऊ बनाने में भी मदद भी मिलती है।
डॉ. नवीन कुमार सिंह, वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र

पहले साल में 1122.131 हेक्टेयर ऊसर भूमि का चयन हुआ था। वहां कार्य लगभग पूरा हो चुका है। दूसरे साल में 1312 हेक्टेयर और तीसरे साल में एक हजार हेक्टेयर ऊसर भूमि को सुधारने का लक्ष्य रखा गया है। जिले के मंगरौरा, शिवगढ़, बाबा बेलखरनाथ धाम, मांधाता, गौरा, बाबागंज, लालगंज, बिहार व रामपुर संग्रामगढ़ ब्लॉक के गाँव शामिल हैं।

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ऐसे बनाते हैं उपजाऊ

ऊसर भूमि को उपजाऊ बनाने की प्रक्रिया काफ़ी लंबी होती है, सबसे पहले खेत की गहरी जुताई की जाती है। इसके बाद खेत को समतल करने के बाद उसमें पानी भर दिया जाता है, जिससे उसमें नमी बनी रहे।

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