काम और मेहनताना मज़दूरों का बस यही फ़साना

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
काम और मेहनताना मज़दूरों का बस यही फ़सानामजदूरों के लिए बीते कुछ वर्षों से कोई भी बड़ी योजना नहीं चलाई गई।

देवांशु मणि तिवारी/दीपांशु मिश्रा, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। “अभी तक हम मजदूरों के लिए एक निश्चित दिहाड़ी की कोई योजना नहीं चलायी गयी है। कहीं दो सौ मिलते हैं तो कहीं सौ रुपए ही मिलते हैं, इतने से घर थोड़ी चलता है।” ऐसे बताते हैं दिहाड़ी मजदूर सरोज सिंह (30 वर्ष)।

निर्माण श्रमिक और दिहाड़ी मजदूरों के लिए बीते कुछ वर्षों से कोई भी बड़ी योजना नहीं चलाई गई। ऐसे में निर्माण मजदूरों ने नई सरकार से एक निश्चित दिहाड़ी की योजना बनाने की मांग की है। गाँव कनेक्शन ने लखनऊ में निर्माणाधीन एचसीएल और अमूल दुग्ध कंपनी निर्माण मजदूरों और गाँव में रहने वाले पंजीकृत निर्माण मजदूरों की नई सरकार से अपेक्षाएं जानीं।

गाँव से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

लखनऊ जिले में सुल्तानपुर रोड पर बन रही एचसीएल औद्योगिक इकाई के निर्माण स्थल पर काम कर रहे सरोज आगे बताते हैं, “नई सरकार ऐसी होनी चाहिए, जो हमें हमारे काम के हिसाब से पैसा देने की अच्छी योजना चलाए।” उत्तर प्रदेश भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार मौजूदा समय में विभाग में 50,000 से अधिक पंजीकृत श्रमिक हैं।

लखनऊ स्थित अमूल फैक्ट्री में काम रहे मजदूर रघुनंदन लोधी (45 वर्ष) ने बताया, “हमारा कार्ड श्रम विभाग में बना है, लेकिन इसके बावजूद हमें रोज़ाना दिहाड़ी नहीं मिलती है। दिनभर कामकाज करने के बावजूद शाम में ठेकेदार दिहाड़ी देने में आनाकानी करता है। दिनभर में एक-दो घंटे के लिए घर के काम से बाहर जाना पड़े, तो आधे दिन का पैसा काट लिया जाता है।”

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

            

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.