सूखे पड़े करोड़ों से बने तालाब
गाँव कनेक्शन 18 April 2016 5:30 AM GMT
मलिहाबाद (लखनऊ)। मनरेगा के तहत क्षेत्र की आठ दर्जन ग्राम पंचायतों में सौ से अधिक तालाब बनाए गए थे, जो अब सूखे पड़े हैं। कई तालाबों में झाड़ियां तक उग आई हैं, जहां जानवर इन्हें चरागाह बनाए हैं जबकि कई तालाबों में बच्चे क्रिकेट खेलते हैं।
मनरेगा के अंतर्गत केन्द्र सरकार द्वारा जल संचयन भूगर्भ जलस्तर को बढ़ाने के साथ मजदूरों को रोजगार देने के लिए आदर्श जलाशयों का निर्माण एक दशक पूर्व कराना शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य था कि गाँव का पानी नालियों से बहकर इऩ तालाबों में पहुंचेगा, जिसके बाद जानवरों के पीने और सिंचाई के काम में इस्तेमाल किया जाएगा। इस पर करोड़ों रुपये भी खर्च किए गए लेकिन जमीन पर एक भी तालाब सही हालत में नहीं है।
अब तक क्षेत्र की 67 ग्राम पंचायतों मे करीब 100 से ज्यादा तालाब खुदवाए जा चुके हैं। तालाबों की खुदाई, बैरीकेडिंग और उनके किनारे वृक्षारोपण के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च भी हुए हैं लेकिन अधिकांश तालाब सूखे पड़े हैं। इनमें डाले गये इनलेट व आउटलेट पाइप खुले में हैं। वृक्षारोपण के नाम पर लगाए गए पौधे सूख गए हैं। कई तालाबों के किनारे बैठने के लिए लगाई गईं सीमेन्ट की बेंच भी टूट चुकी हैं।
ग्राम पंचायत महमूदनगर मे हाईवे के किनारे बनाये गये आदर्श जलाशय को अब तक तीन बार खुदाई की गई है लेकिन यहां पानी की एक बूंद तक नहीं है। तालाब साढ़े सात लाख रुपयों की लागत से पक्का बनवाया गया था। महमूदनगर गाँव के संजय पाठक (45 वर्ष) ने बताया, “तालाब बनवाने के नाम पर सरकार के लाखों रुपए लोग मिलजुल कर खा गए। देखो आसपास किसी तालाब में न पानी है न कहीं हरियाली है।”
ग्राम पंचायत मुजासा के बने आदर्श जलाशय की बैरीकटिंग गायब होने के साथ इसके खम्भे भी गायब हो गये हैं। वहीं गुलाबखेड़ा के बने तालाब मे महिलाएं कण्डे पाथती हैं। ग्राम पंचायत नईबस्ती धनेवा, कसमण्डीकलां, जिन्दौर, सहिलामऊ दर्जनों ग्राम पंचायतों में यही हालात देखने को मिले हैं।
खण्ड विकास अधिकारी हवलदार सिंह बताते हैं, “तालाबों की मरम्मत व इन पर चौकीदार रखने की व्यवस्था न होने के कारण य़े बदहाल हो गए हैं। ग्रामीणों को स्वयं जागरूक होकर बनाये गये आदर्श जलाशयों की व्यवस्था करनी चाहिए। निर्माण कार्य में अगर कहीं अनियमितता की शिकायत उन्हें मिलेगी तो उसकी वह जांच कराएंगे।”
रिपोर्टर- सुरेन्द्र कुमार
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