सूखे से निपटने के लिए आपदा राहत कोष बनाए केंद्र: उच्चतम न्यायालय

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सूखे से निपटने के लिए आपदा राहत कोष बनाए केंद्र: उच्चतम न्यायालयgaonconnection, सूखा से निपटने के लिए आपदा राहत कोष बनाएं केंद्र: उच्चतम न्यायालय

नई दिल्ली (भाषा)। उच्चतम न्यायालय ने सूखे जैसी स्थिति से निपटने के लिए आज केंद्र को आपदा राहत कोष बनाने के लिए कहा और कृषि मंत्रालय को आदेश दिया कि स्थिति का आकलन करने के लिए वह बिहार, गुजरात और हरियाणा जैसे प्रभावित राज्यों के साथ एक सप्ताह के अंदर एक बैठक करे।

न्यायमूर्ति एमबी लोकुर की अगुवाई वाली पीठ ने केंद्र को आदेश दिया कि वह आपदा प्रबंधन कानून के प्रावधानों का कार्यान्वयन करे और वैज्ञानिक आधारों पर सूखे की घोषणा करने के लिए एक समय सीमा तय करे।

साथ ही न्यायालय ने आपदा से प्रभावित किसानों को कारगर राहत देने के लिए केंद्र को सूखा प्रबंधन नियमावली की समीक्षा करने और संकट से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय योजना बनाने के लिए भी कहा।

पीठ में न्यायमूर्ति एनवी रामना शामिल हैं। पीठ ने कहा, ‘‘कृषि मंत्रालय को स्थिति का आकलन करने के लिए सूखा प्रभावित बिहार, गुजरात और हरियाणा के मुख्य सचिवों के साथ एक सप्ताह के अंदर एक बैठक करने का आदेश दिया जाता है।''

इसके अलावा न्यायालय ने आदेश दिया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल को सूखे जैसी स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए तथा उपकरण दिए जाने चाहिए।

अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पी एस नरसिम्हा ने 26 अप्रैल को पीठ को बताया था कि केंद्र सूखा प्रभावित इलाकों में हालात पर नजर रखे हुए है और राज्य प्राकृतिक आपदा से प्रभावित इन इलाकों में किसानों को हरसंभव राहत मुहैया कराने के लिए कडी मेहनत कर रहे हैं।

पूर्व में, उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से सवाल किया था कि क्या राज्यों को यह चेतावनी देने की जिम्मेदारी उसकी (राज्य की) नहीं है कि निकट भविष्य में सूखे जैसे हालात उत्पन्न हो सकते हैं।

प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को कम मुआवजे पर न्यायालय ने चिंता जताई और कहा कि इसके चलते कुछ किसानों ने आत्महत्या की।

याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन स्वराज अभियान ने समीक्षा के बाद दाखिल अपने आग्रह में केंद्र को मनरेगा कानून के प्रावधानों से संबद्ध एक आदेश देने तथा सूखा प्रभावित इलाकों में रोजगार सृजन के लिए इसका उपयोग किये जाने का अनुरोध किया था।

गैर सरकारी संगठन द्वारा दाखिल जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि 12 राज्यों उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, झारखंड, बिहार, हरियाणा और छत्तीसगढ के कई हिस्से सूखे से प्रभावित हैं और प्राधिकारी पर्याप्त राहत नहीं मुहैया करा रहे हैं।

 

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