खुले में शौच नहीं जाना चाहती थी चमेली, सरकारी मदद का इंतजार किए बिना बनाया कपड़े का शौचालय
खुले में शौच रोकने के लिए नहीं किया किसी सरकारी मदद का इंतजार, कपड़े का शौचालय बनाने वाली चमेली की देखादेखी और महिलाओं ने भी बनाया ऐसा ही शौचालय
Manish Mishra 6 Nov 2018 5:59 AM GMT
चिरैया (बलरामपुर)। अशिक्षा के अंधकार में जी रही चमेली की दुनिया बहुत छोटी थी। खेतों में काम करना, घर में रोटी बनाना और गाँव की एक साधारण महिला की तरह ज़िंदगी जीना। लेकिन एक दिन महिलाओं की मीटिंग से वापस आते समय उसका मन बहुत बेचैन था।
चमेली के मन में यह बेचैनी अनायास ही नहीं थी, बल्कि उसे समझ आ गया था कि खुले में शौच जाकर वह कितना गलत कर रही है।
गरीबी के चलते चमेली के घर में शौचालय नहीं बन पाया था, लेकिन उसने ठान लिया कि अब खुले में शौच नहीं जाएगी। बस कोई रास्ता न देख चमेली ने चार डंडियां काट कर कपड़े का अस्थाई शौचालय बना लिया।
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के चिरैया गाँव में रहने वाली चमेली ने सरकारी मदद का इंतजार न करते हुए अपना रास्ता खुद निकाल लिया।
ये भी पढ़ें-बेटी की शौचालय बनवाने की जिद पर पिता को गर्व
"मीटिंग के बाद पता चला किसी भी चीज से पहले शौचालय बनवाना बहुत जरूरी है, मकान न बनवाते वो जरूरी नहीं था, शौचालय जरूरी है। अगर कोई लड़की बाहर निकल जाए तो देख कर लोग तरह-तरह की बातें बनाते हैं, फिर खुले में शौच जाना तो बड़े शर्म की बात है। जब मीटिंग में दीदी ने समझाया तो हमने तुरंत ठान लिया कि खुले में शौच तो नहीं जाना है चाहे कुछ भी हो", चमेली ने बड़े ही आत्मविश्वास से कहा।
चमेली ने सरकारी मदद का न तो इंतजार किया न ही किसी के आगे हाथ फैलाया, बस दिमाग लगाकर निकाल लिया मुश्किल का हल। चमेली की देखा-देखी मोहल्ले की दूसरी महिलाओं ने भी यही तरीका अपना लिया और कपड़े का शौचालय बनाकर खुले में शौच जाना बंद कर दिया।
इसी के बाद गाँव में जैसे खुले में शौच के खिलाफ एक मुहम सी छिड़ गई। महिलाओं की टोली स्वच्छता के लिए लोगों को जागरुक करने के लिए सुबह चार बजे उठती और नारेबाजी करती। खुले में शौच जाने वाले लोगों को ऐसा करने से रोकती।
चमेली के इस मिशन में उसके बच्चों और पति का पूरा साथ मिला। घर से जब सहयोग मिला तो बाहर के लोग भी धीरे-धीरे मानने लगे।
ग्रामीणों को स्वच्छता का पाठ पढ़ा रहीं ये महिलाएं
"पहले हम चमेली पर गुस्सा करते थे, तुम बाहर ही रहती हो, जब लड़कियां पढ़ने लगीं तब हमको अहसास हुआ कि अच्छा काम कर रही हैं। उसके बाद हमने चमेली को कभी नहीं रोका," मुराली चमेली के पति ने कहा। मुराली मुंबई या दूसरे शहरों में मजदूरी करते हैं, वहीं गाँव में पूरे परिवार को चमेली ही संभालती है।
चमेली को शुरू में ताने तो मिले लेकिन बाद में वही लोग समर्थन में आए। इस काम के लिए पति और परिवार का पूरा साथ मिलने के बाद चमेली ने खुले में शौच के खिलाफ अभियान के साथ ही समाज की अन्य बुराइयों के लिए लिए लड़ाई लड़नी शुरू कर दी।
"हमारे तीन बेटियां और दो लड़के हैं। बच्चे बोलते हैं कि मम्मी आप बहुत अच्छा काम कर रही हो, जब हमने कपड़े का शौचालय बनवाया तो गाँव के लोगों ने कहा कि ये क्या घेर के बैठी हो। पहले तो मजाक बनाया लेकिन बाद में सबको समझ आ गया," चमेली ने बताया, "पहले जो हुआ वो हो गया, अब कोई गाँव में बाल विवाह करके देखे, करने नहीं देंगे। अपनी बेटी को दशवीं तक पढ़ाया है और उसके बाद शादी की है, पढ़ाई पूरी कराने के बाद।"
चमेली की बेटी को अपनी माँ पर बहुत गर्व है, उसे खुशी है कि माँ ने उसका हर पल साथ दिया और अब गाँव की दूसरी बेटियों के लिए लड़ाई लड़ रही है।
"जब गाँव के लोग हंसते थे तो मम्मी निराश होकर बैठ जाती थीं, तो हम भाई-बहन मम्मी को समझाते, लेकिन मम्मी कभी पीछे नहीं हटीं," चमेली की बेटी सुमन मौर्या ने कहा।
चमेली खुद भले ही ज्यादा न पढ़ पाई हों, लेकिन वह गाँव की सभी लड़कियों को पढ़ते देखना चाहती हैं, खुले में शौच के खिलाफ छिड़ी जंग के साथ-साथ गाँव की हर बुराई के खिलाफ चमेली और उनकी मंडली हमेशा खड़ी रहती है।
#cleanliness campaign #swachh bharat abhiyan #open defecation free #balrampur #unicef india #SwachtaConnection #CleanIndia #ODF
More Stories