गांव तक नहीं जाते पशु चिकित्सक, प्राइवेट डॉक्टर वसूलते हैं मनमानी फीस

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गांव तक नहीं जाते पशु चिकित्सक, प्राइवेट डॉक्टर वसूलते हैं मनमानी फीसगांव के पशु चिकित्सालय तक नहीं जाते हैं पशु चिकित्सक

शगुन गुप्ता- कम्यूनिटी जर्नलिस्ट कक्षा-11, उम्र-16

जानकी प्रसाद इंटर कालेज, कछौना, हरदोई

कछौना (हरदोई)। गाँव के अधिकतर लोगों के लिए खेती और पशुपालन जीविकापालन का जरिया हैं जबकि भूमिहीन लोगों के पास पशुपालन ही एक मात्र व्यवसाय है। लेकिन पशु चिकित्सकों के न आने से पशुपालकों को निजी डॉक्टर के भरोसे अपने पशुओं को इलाज कराना पड़ता है।

कछौना में बना पशु चिकित्सालय बनाया गया था। पशु चिकित्सालय में केंद्र इमारत खण्डहर में तब्दील हो रही है। दरवाजे, खिड़कियां तो गायब हो गए हैं चारों तरफ बड़ी-बड़ी घास उग आयी है। यहां डॉक्टर भी कभी नजर नहीं आते हैं।

ठाकुरगंज के रहने वाले जीतेन्द्र सिंह (50 वर्ष) बताते हैं, ''गाँव में लगभग सभी घरों में गाय या भैंस पली हैं। अगर कोई भी जानवर अचानक बीमार पड़ जाता है, तो प्राइवेट डॉक्टरों गाँव में बुलाना पड़ता है। जल्दी जानवरों के डॉक्टर भी नहीं मिल पाते हैं।''

इंस्टीट्यूट ऑफ अप्लाइड मैनपावर एंड रिसर्च (आईएएमआर) के एक अध्ययन के अनुसार देश में एक लाख 15 हजार 938 पशु चिकित्सकों की कमी है। देश में कुल 67800 रजिस्टर्ड पशु चिकित्सक हैं। गत वर्ष 31 मार्च तक के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार देश में 11367 पशु चिकित्सालय या पॉलीक्लीनिक, 26034 डिस्पेंसरी और 23722 पशु सहायता केंद्र हैं।

बारिश में पशुओं में ज्यादा बीमारियां फैलती हैं, टीका न लगाने से ये बीमारियां और भी बढ़ जाती हैं। ऐसे में उनके इलाज के लिए गाँव के नज़दीक कोई भी उचित व्यवस्था नहीं है। पशुओँ का कृत्रिम गर्भाधान करवाने के लिए निजी पशु डॉक्टर को बुलाना पड़ता है।
रमेश गुप्ता (57 वर्ष), कछौना

सरकारी डॉक्टर होने से प्राइवेट डॉक्टरों को फायदा हो रहा है। कृत्रिम गर्भाधान के लिए उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग ने पशुपालक के घर जाकर गर्भाधान करने का शुल्क 40 रुपए निर्धारित किया है, वहीं प्राइवेट डॉक्टर मनमाने ढग़ से पैसे वसूलते हैं और पशुपालकों से 250 से 300 रुपए तक लेते हैं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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