हाईब्रिड बीजों की होड़ में किसान भूल रहे परंपरागत किस्मों का खेती

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हाईब्रिड बीजों की होड़ में किसान भूल रहे परंपरागत किस्मों का खेतीहाइब्रिड खेती

किशन कुमार- कम्युनिटी जर्नलिस्ट

रायबरेली। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह किसानों का रुझान हाईब्रिड बीजों की तरफ बढ़ा है। इसके चलते किसान फसलों की खास प्रजातियों को भूल रहे हैं। इसका नतीजा यह हुआ है कि धीरे-धीरे यह प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई है।

रायबरेली के हरचन्दपुर ब्लॉक के प्रगतिशील किसान संग्राम सिंह जिले में धान की खेती के लिए जाने जाते हैं। संग्राम सिंह देश के कई राज्यों में किसान गोष्ठियों में भाग लेने जाते रहे हैं। संग्राम सिंह (58 वर्ष) बताते हैं, ''करीब 10 वर्ष पहले सरकार ने फिलीपीन्स स्थित धान अनुसंधान संस्थान (इर्री) की तर्ज पर सीड बैंक बनाने की योजना को हरी झंडी दी थी। इसकी मदद से प्रदेश में विलुप्त होती सैकड़ों प्रजातियों को सुरक्षित रखा जा सकता था पर हाइब्रिड फसलों के चलन से लोग परम्परागत किस्मों को भूलते गए।''

ऐसा नहीं है कि इस बारे में सरकार ने ध्यान नहीं दिया पर धान की विलुप्त होती प्रजातियों को संरक्षित करने की योजना बनाई गई, पर पिछले 10 वर्षों से ये योजना ठण्डे बस्ते में है।

जिला कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार रायबरेली में नामचुनिया, दुबराज, बादशाह पसंद,शक्कर चीनी, विष्णु पराग जैसी प्रजातियों की खेती होती थी पर पिछले तीन वर्षों में इन प्रजाजियों का उत्पादन 30 फीसदी घट गया है।

धान की परंपरागत फसलों को बचाने के लिए लखनऊ के रहमान खेड़ा स्थित कृषि प्रबंध संस्थान में बकायदा काम भी शुरू हुआ था, लेकिन दो वर्षों के बाद ही बजट की कमी से कार्य रोक दिया गया। इस योजना के तहत तय किया गया था कि विलुप्त होती प्रजातियों को संरक्षित कर वैज्ञानिक मान्यता दिलाने के साथ-साथ उनका बौद्धिक सम्पदा अधिकार (आई.पी.आर) में पंजीकृत भी कराया जाएगा। लेकिन योजना कारगर नहीं हो सकी।

जिले में धान की खेती करने वाले बड़े किसान में से एक संग्राम सिंह बताते है कि विलुप्त होती किस्मों की खासियत यह है कि इसमें भरपूर पोषक तत्व होते हैं। इसमें कोई रोग भी नहीं लगते, हां इसकी उत्पादकता जरूर कम होती है, लेकिन अच्छे स्वास्थ्य के लिए ऐसे अनाजों की पूरे देश में मांग है।


इन किस्मों का होना था संरक्षण और संर्वधन कार्य-

- सिद्धार्थ नगर- बस्ती का काला नमक, काला जीरा, जूही बंगाल कनक जीरा, धनिया और मोती बदाम

- इलाहाबाद के कोरांव का सोना चूर्ण

- सुल्तानपुर चन्दौली का शक्कर चीनी, जिरिंग साम्भा,

- प्रतापगढ़ का लालमनी

- रायबरेली ,फैजाबाद, बहराइच का नामचुनिया, दुबराज, बादशाह पसंद, शक्कर चीनी, विष्णु पराग

- बाराबंकी का श्याम जीरा लालमती

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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