सिर्फ नारों पर हो रहा स्वच्छ भारत

सिर्फ नारों पर हो रहा स्वच्छ भारतबेहद ख़राब हालत में है रायबरेली जिले का बछरावां बस अड्डा

किशन कुमार- कम्यूनिटी जर्नलिस्ट

रायबरेली। दो साल पहले प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत करके देश को स्वच्छ भारत बनाने को प्रेरित किया तो हर तरफ एक मुहिम सी चल पड़ी थी लेकिन यह मुहिम कुछ दिनों के बाद अब ठंडी पड़ गयी है। शहर हो या गाँव कोई जगह ऐसी नहीं जिसे स्वच्छ कहा जा सके।

रायबरेली जिला नगर पालिका ने स्वच्छता के लिए विशेष अभियान चलाकर रेलवे स्टेशन से लेकर जिला अस्पताल तक और सुपर मार्केट से लेकर ब्लॉक के बाज़ारों तक के ज़िम्मेदार लोगों ने स्वयं झाडू पकड़कर लोगों से अपील की थी। इस दौरान कई स्वयंसेवी संस्थाएं भी खुल कर अभियान का हिस्सा बनीं, लेकिन कुछ दिन बाद ही सब टांय-टांय फिस्स हो गया है।

जिले के पंचायती राजविभाग में स्वच्छता अभियान देख रहे श्यामलाल बताते हैं,'' जिले में स्वच्छता के लिए करीब 115 स्वच्छता दूत तैनात किए गये हैं। डलमऊ में 25 स्वच्छता दूत हैं पर कोई आज तक कोई गाँव नहीं पहुंचा है। राही में 5 दूत है इसी तरह हरचन्दपुर में 8, शिवगढ़ में 5, डीह में 10, बछरावाँ में 8 स्वच्छता दूत है, सलोन और छतोह में अभी स्वच्छता दूत नियुक्त नहीं किए गए हैं इनमें से एक भी स्वच्छता दूत अपनी नियुक्ति वाले गाँव नहीं पहुंच सका है।''

बछरावां बस अडडे पर बने शौचालय के पास गंदगी का ढेर

प्रशासन की जिम्मेदारी की बात की जाए तो डीएम को छोड़कर कोई भी नगर पंचायत नगर पालिका में स्वच्छता अभियान की समीक्षा नहीं की जाती है जबकि जिलाधिकारी द्वारा हर समीक्षा बैठक के बाद सबको नोटिस भेजा जाता है। बछरावां बस अड्डे की हालत तो बेहद खस्ता है यहां कदम-कदम पर भरा गन्दा पानी और बरामदे में घूमते अंवारा कुत्ते यात्रियों को परेशानी में डाल रहे हैं। बस अड्डे की प्रसाधन व्यवस्था तो एकदम ध्वस्त है।

जब सफाई और स्वच्छता की बात हो तो सफाईकर्मियों की स्थिति जानना बहुत जरूरी हो जाता है। इस समय जिले में सफाईकर्मियों की स्थिति कुछ यूं है- रायबरेली शहर 542 , लालगंज 73, राजस्व गाँव 92 हैं, जिनमें 95 सफाईकर्मी तैनात हैं, ऊँचाहार में 25 रिक्त पद 6, शिवगढ़ 45 रिक्त पद 5, हरचन्दपुर 80, सलोन 104 रिक्त पद 30, सलोन नगर पंचायत 40, छतौह 54, परशदेपुर 14, बछरावां 34 ग्रामीण में 65, डीह में 70 सफाईकर्मी तैनात हैं।

इतनी लम्बी चौड़ी फौज होने के बाद भी ग्रामवासियों की शिकायत रहती है कि गाँव के सफाईकर्मी को वो पहचानते तक नहीं क्योंकि शायद ही कभी कोई सफाईकर्मी गाँव में दिखता है।

गाँवों में साफ-सफाई की हालत के बारे में हरचन्दपुर इलाके के संग्राम सिंह (55वर्ष) बताते हैं कि ज़्यादातर सफाईकर्मी प्रधान जी की चाकरी करके वेतन निकलवा लेते हैं। अधिकतर सफाईकर्मी अपने को ब्लॉक कार्यालय से सबद्ध कराकर मौज काट रहे हैं वहीं कुछ अधिकारियों के साथ अटैच हैं, जो उनके घरों में कार्य कर रहे हैं और गाँव कस्बों की सफा-सफाई स्वच्छ भारत अभियान के नारों द्वारा चलाई जा रही है।”

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

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