दिखावे के लिए अस्पताल के अन्दर दिन भर खड़ी रखते हैं एम्बुलेंस

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दिखावे के लिए अस्पताल के अन्दर दिन भर खड़ी रखते हैं एम्बुलेंसशिवली गाँव में बने सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र पर नहीं पहुंच रहे डाक्टर

उमा शर्मा- कम्युनिटी जर्नलिस्ट

उम्र-17 वर्ष कक्षा-11

प्रखर प्रतिभा इंटर कालेज ए बैरी असई, कानपुर देहात

शिवली, कानपुर देहात। शिवली कस्बे मे सरकारी अस्पताल बने भले ही कई साल हो गये हो पर यहाँ के स्थानीय लोगों को आज तक इस सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्वास्थ्य सेवा का लाभ नहीं मिला है।

कानपुर देहात जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर शिवली कस्बे मे बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मे डाक्टरों का आवागमन कभी कभार ही होता है। शिवली कस्बे मे रहने वाले शिवनारायण का कहना है कि अस्पताल में पूरे दिन एम्बुलेंस की गाड़ियां खड़ी रहती हैं जिससे आने जाने वाले लोगों को लगे कि अस्पताल खुला है। पूरे दिन मुख्य गेट खुला रहता है और अन्दर सिर्फ एम्बुलेंस की गाड़ियां होती हैं। वो आगे कहते हैं जब हमारे कस्बे में कोई बीमार पड़ता है तो सीधे कानपुर ले जाना पड़ता है।

ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर मिल पाये इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने भले ही लाखों रुपए खर्च करके प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनवा दिये होए लेकिन कभी न खुलने वाले स्वास्थ्य केन्द्र से ग्रामीणों को इसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) की वेबसाइट के अनुसार उत्तर प्रदेश में 5000 डॉक्टरों की कमी है। गाँवों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए करीब 16000 डॉक्टरों की आवश्यकता है। जबकि विभाग के पास सिर्फ 11000 ही हैं। अभी प्रदेश मौजूदा स्वास्थ्य केंद्रों में ही डॉक्टरों की कमी नहीं पूरी कर पा रहा है जबकि प्रदेश में 1500 से ज्यादा स्वास्थ्य केंद्रों की कमी है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) के अनुसार उत्तर प्रदेश में 5172 पीएचसी की ज़रूरत है जबकि सिर्फ 3692 ही मौजूद हैं।

इसी कस्बे में रहने वाली कमला का कहना है कि बीमार पड़ने पर मजबूरी में झोलाछाप डाक्टरों को दिखाना पड़ता है इसके बदले में वो मनमाने पैसे वसूलते है इन झोला छाप डाक्टरों से जब रोगी ठीक नहीं होता है तो कानपुर जाना पड़ता है इससे समय व पैसे दोनो की बरबादी होती है कई बार रोगियों की जान भी जा चुकी है।

इण्टर कालेजों में पढ़ने वाले हजारों छात्रों का कहना है कई बार लिखित शिकायत की गयी है। शिकायत करने के दो तीन दिन तक सब ठीक रहता है फिर डाक्टर वही पुराने ढर्रे पर चलने लगते हैं। एक सप्ताह पहले मुख्य चिकित्साधिकारी ने औचक निरीक्षण किया, और 24 घण्टे चिकित्सीय सेवा बहाल करने के आदेश दिये। निरीक्षण के दो दिन बाद ही दोपहर एक बजे ताला बन्द मिला। ग्रामीणों का कहना है कि डाक्टरों की मनमानी तब तक खत्म नहीं होगी, जब तक कि उन पर सख्त कार्यवाही नहीं की जायेगी।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

 

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