बस अड्डा न होने की वजह से परेशान ग्रामीण
Neetu Singh 4 Oct 2016 5:46 PM GMT

नाम-विभा तिवारी
उम्र-15 वर्ष, क्लास -10, स्कूल-तारा चन्द्र इंटर कालेज शिवली, कानपुर देहात
शिवली (कानपुर देहात)। कानपुर-रसूलाबाद-बिधूना-झींझक के मुख्य मार्ग पर स्थित शिवली कस्बे में आज तक बस अड्डे का निर्माण नहीं हो पाया है, जबकि हर दिन हजारों लोग यहाँ से बस का सफर करते हैं। प्रतिदिन इस मुख्य मार्ग से सैकड़ों बसें गुजरती हैं।
कानपुर नगर मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित शिवली कस्बा कहने भर के लिए नगर पंचायत बन कर रह गया है। चुनाव से पहले विधायक या सांसद जब वोट मांगने आते हैं तो स्थानीय लोग बस अड्डा बनाने की मांग करते हैं, उस चुनाव के माहौल में जनप्रतिनिधि जनता को पूरा आश्वासन देकर जाते हैं। चुनाव जीतने के बाद किसी का कोई अता-पता नहीं रहता।
शिवली कस्बे में लम्बे समय से ग्रामीण स्थाई बस अड्डे और शौचालय की मांग कर रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिये न तो जनप्रतिनिधि गम्भीर है और न जिम्मेदार लोग। इस कस्बे में रहने वाले नवीन तिवारी का कहना है कि चुनाव के समय एक बहार आती है कि इस बार तो बस अड्डा बन ही जायेगा लेकिन चुनाव के बाद कोई सुध लेने नहीं आता। वो आगे बताते हैं कि आज भी लोग गर्मी की भरी दोपहरी में घंटों धूप में खड़े होकर बस का इन्तजार करते हैं।
शिवली कस्बे के आस-पास के सैकड़ों गाँव के लोग यहां से कानपुर, झींझक, रसूलाबाद, औरैया-बिधूना दिल्ली तक का सफ़र तय करने के लियें बस यहीं से पकड़ते हैं | प्राइवेट और रोडवेज बसों का जहाँ मन होता है वहां बस खड़ी कर दी जाती हैं,एक निश्चित जगह निर्धारित न होने की वजह से यात्रियों को अपना सामान उठाकर दूर तक पैदल चलकर बस के पास तक ले जाना पड़ता हैं।
यहाँ से यात्रा करने वाले यात्रियों का कहना है कि रोडवेज बस वालों ने अपने स्टॉप होटल बना लिए हैं। होटल वाले 10-15 मिनट बस खड़े होने का एक बार में 15 से 20 रुपए प्रति बस वसूली करते हैं। अपनी बेटी को ससुराल जाने के लिए बस तब छोड़ने आए गंगा दीन बताते हैं कि हम लोगों के लिए आदत सी हो गई है कभी धूप में खड़े होकर बस का इंतजार करना पड़ता है तो कभी बारिश में भीगते हुए बस स्टॉप पर खड़े रहना पड़ता है। वो आगे कहते हैं, न पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही शौचालय है। इस धूप में कई बार बस का इन्तजार करने वाले यात्रियों की तबीयत खराब हो जाती हैं। ग्रामीण इस उम्मीद में है कि कोई तो इस समस्या का समाधान करे।
"This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org)."
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