जब सड़क किनारे नहीं बनेंगी नालियां, न साफ होंगे गांव न शहर
गाँव कनेक्शन 12 Oct 2016 7:41 PM GMT

वीरेंद्र सिंह (कम्यूनिटी जर्नलिस्ट)
बेलहरा (बाराबंकी)। लगभग पूरे देश में साफ सफाई और स्वच्छता का नारा गूंज रहा है। टीवी से लेकर अख़बारों तक में सरकारें इसकी वकालत कर रही हैं लेकिन दो चीजें स्वच्छ भारत में बाधा बनी हुई हैं। एक तो सफाई कर्मचारियों की मॉनिटरिंग न होना दूसरे सड़क और गलियों में नालियों का न होना।
गांव साफ सुथरे हों इसके लिए हर ग्राम पंचायत में सफाई कर्मचारी की तैनाती की गई है। उन्हें मोटी सैलरी भी मिलती है लेकिन ज्यादातर ग्रामीणों की शिकायत मिल रही है उन्होंने कभी अपने इलाके के सफाई कर्मचारी को नहीं देखा। गांवों में बजबजाती नालियां और सड़कों पर इधर-उधर फैला कचरा लोगों के दावे पर मुहर भी लगाता है। लोगों का आरोप है कि ज्यादातर सफाई कर्मचारी या तो कागजों पर काम करते हैं या फिर प्रधान और दूसरे दबंग लोगों के घर के आसपास की सफाई कर चले जाते हैं। ऐसी शिकायतें प्रदेश की हजारों ग्राम पंचायतें से है।
बाराबंकी के बेलहरा कस्बे में अधिकतर नालियों में सफाई न होने के कारण गंदा पानी भरा रहता है, जिससे संक्रमण रोग फैलने का डर हमेशा बना रहता है। बेलहरा के खालेटोला निवासी राकेश मौर्य (38 वर्ष) बताते हैँ, "मोहल्ले में नालियां बजबजा रही हैं। हमने तहसील दिवस में भी प्रार्थना पत्र देकर अवगत कराया पर कोई हल नहीं निकल रहा है।"
नालियां चोक होने के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। इस वजह से गाँव में काफी लोग बुखार से पीड़ित हैं लेकिन न प्रशासन और न यहां के प्रधान इस ओर ध्यान दे रहे हैं।उसमान खां (49 वर्ष) बेलहरा
कई लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सफाई कर्मचारी सिर्फ प्रधान और एक दो लोगों के यहां ही नजर आता है। बेलहरा में बाबा साहेब का प्रसिद्ध मंदिर भी यहां तमाम लोग रोजाना दर्शन करने आते हैं। छेदा तिराहे पर भी गंदगी का अंबार रहता है। जबकि यहां रोजाना कई हजार लोग गुजरते हैं।
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