ग्राम प्रधान की मनमानी से बच्चों को हर दिन मिलती है खिचड़ी
गाँव कनेक्शन 2 Oct 2016 7:41 PM GMT

नौशाद अली- कम्युनिटी जर्नलिस्ट, कक्षा-11
स्कूल- जनता इंटर कालेज, कल्यानपुर (सीतापुर)
लहरपुर (सीतापुर)। परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को मिड-डे-मील खिलाने के लिए सरकार लाखों रुपए का बजट खर्च करती है, लेकिन असल में बच्चों को मेन्यू के हिसाब से भोजन ही नहीं मिलता है।
सीतापुर जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी. दूर लहरपुर तहसील के मोहम्मदीपुर गाँव में पूर्व माध्यमिक चल रहा है। इस विद्यालय में कुल 74 बच्चों का नामांकन है, लेकिन आते 50-55 बच्चे ही हैं। इन बच्चों को मिड डे मील के नाम पर हर दिन तहरी नहीं तो खिचड़ी दी जा रही है।
मोहम्मदीपुर गाँव के रहने वाले रमेश (45 वर्ष) कहते हैं, “इस स्कूल में बच्चों को हफ्ते भर खिचड़ी, तहरी ही दी जाती है। चावल मुफ्त में मिल जाता है खिचड़ी बनाई जाती है। खिचड़ी में थोड़ी दाल और दो-चार आलू डाल दी जाती है।“
पूर्व माध्यमिक विद्यालय के एक अध्यापक नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं, "हमारे गाँव की ग्राम प्रधान के पति अब्दुल खालिक को विद्यालय से कोई मतलब नहीं है। उनसे कहने जाओ तो कहते हैं, आप लोग इंतजाम कर लो, हम लोग किसी तरह से बच्चों को खाना खिला रहे हैं।" वो आगे कहते हैं, खाना न मिलने से बच्चे भी कम आने लगे हैं, जबकि पहले ज्यादा बच्चे आते थे।
अभी तक विद्यालय में किताबें भी नहीं मिली हैं, बच्चों की परीक्षाएं भी होने वाली है, किसी तरह पुरानी किताबों से काम चला रहे हैं। अभिभावकों को लगता है कि हम किताबें ही नहीं बांट रहे हैं, जबकि अभी हम तक ही किताबें नहीं पहुंच पायी है।सरदार अली, अध्यापक- पूर्व माध्यमिक विद्यालय
पूर्व माध्यमिक विद्यालय में एक कमरे का निर्माण पिछले बारह सालों से किया जा रहा है, लेकिन अभी तक सिर्फ दीवारें ही खड़ी हो पायी हैं। बाकी का काम पिछले कई सालों से ऐसे ही रुका पड़ा है।This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).
Swayam Project mid-day-meal Sitapur
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