कहीं खंडहर बन गए आंगनबाड़ी केंद्र, तो कहीं पर नहीं हैं अस्पताल

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कहीं खंडहर बन गए आंगनबाड़ी केंद्र, तो कहीं पर नहीं हैं अस्पतालहरचंदपुर ब्लॉक के पहराखेड़ा गाँव में बना आंगनबाड़ी केंद्र खंडहर में हो गया तब्दील

कम्युनिटी जर्नलिस्ट- जान्हवी वर्मा 16 वर्ष

स्कूल- बाल विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, गंगागंज

छात्र पत्रकार- प्रिया चौरसिया 16 वर्ष स्कूल- न्यू आदर्श इंटर कॉलेज, दिघौरा

रायबरेली। स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर तरीके से गाँवों में पहुंचाने के लिए प्राथमिक स्वास्थ केंद्र बनवाए जाते हैं, लेकिन जिले के सरांवा, टांडा और गुल्लूपुर जैसे गाँवों के लोग अपने इलाज के लिए गाँव से 10 किमी दूर रायबरेली जिला अस्पताल में जाने को मजबूर हैं।

टांडा गाँव के निवासी राजेश कुमार (45 वर्ष) कहते हैं, “गाँव से 10 किमी दूरी पर जिला अस्पताल है। इसलिए हमें इलाज करवाने में परेशानी हो रही है। बारिश में लोग ज़्यादा बीमार पड़ते हैं, अचानक तबीयत खराब हो जाने पर गाँव में तुरंत इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है।’’ वो आगे बताते हैं, “गाँव से सरकारी अस्पताल की दूरी के कारण ग्रामीणों को लोकल डॉक्टरों से इलाज कराना पड़ रहा है।”

गाँवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ना होना ही एकमात्र समस्या नहीं है बल्कि गाँवों की महिलाओं को बेहतर सुविधा देने के लिए बनवाएं गए आंगनबाड़ी केंद्र भी बदहाली की मार झेल रहे हैं। हरचंदपुर ब्लॉक के पहराखेड़ा गाँव में बना आंगनबाड़ी केंद्र किसी खंडहर से कम नहीं लगता है।यह केंद्र पिछले एक वर्ष से नहीं खुला है।

इस आंगनबाड़ी केंद्र पर पहले बच्चों के टीकाकरण कार्यक्रम और पल्स पोलियो शिविर का आयेजन किया जाता था पर अब यहां पर आवारा पशुओं के अलावा कोई भी नहीं दिखता।
जानकी देवी, निवासी- पहरा गाँव

ग्रामीण इलाकों में रहने वाली 70 फीसदी आबादी को सेहतमंद रखने की जिम्मेदारी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर है लेकिन यहां पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व डॉक्टर नहीं हैं।

रायबरेली के टांडा गाँव से नज़दीक गंगागंज के रेलवे कॉलोनी में रहने वाले शिवप्रकाश (41 वर्ष) लाइनमैन हैं। वो कहते हैं, “गाँव के आसपास कोई भी सरकारी अस्पताल नहीं है और जो हैं अस्पताल न होने से ज़्यादा तबियत खराब हो जाने पर जिला अस्पताल भागना पड़ता है।”हरचंदपुर ब्लॉक के दिघौरा गाँव में बना एएमएम सेंटर महीने में सिर्फ एक बार ही खुलता है। ऐसे में यहां पर रहने वाले स्थानीय लोग अपना इलाज करवाने के लिये सात किमी. दूर बछरावां सीएचसी जाते हैं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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