सूखे बुंदेलखंड में शिक्षा की ललक जगा रहीं रश्मि

सूखे बुंदेलखंड में शिक्षा की ललक जगा रहीं रश्मिचित्रकूट के पूर्व सांसद राम संजीवन सिंह की बहु रश्मि सिंह 

डॉ. प्रभाकर सिंह- कम्युनिटी जर्नलिस्ट

कर्वी (चित्रकूट)। एक ओर शिक्षा को लोग व्यापार बना रहे हैं, वहीं पर ऐसे भी कुछ लोग हैं, जिन्होंने लड़कियों को बेहतर शिक्षा देने के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया।

चित्रकूट जिले के कर्वी में स्थित छत्रपति शाहू जी महाराज महिला महाविद्यालय, जिले का एकमात्र लड़कियों का महाविद्यालय है। इसके बनने में महाविद्यालय की प्रबंधक रश्मि सिंह (48 वर्ष) का पूरा योगदान है।

चित्रकूट जिले के एक मात्र बालिका विद्यालय की शुरुआत में करना पड़ा संघर्ष

जिले में लड़कियों के लिए महाविद्यालय शुरु करना आसान नहीं था। कहने को तो रश्मि सिंह चित्रकूट के पूर्व सांसद राम संजीवन सिंह की बहू हैं। बाइस वर्ष में उनकी शादी डॉ. राम किशोर से हुई थी। रश्मि सिंह बताती हैं, "जब मेरी शादी हुई तो बाइस साल की थी, पति डॉक्टर थे, रूस से पढ़कर आए थे तो कोई चिंता ही नहीं थी। पापा का सपना था कि हमारे यहां भी लड़कियों के लिए डिग्री कालेज बने। लेकिन शादी के कुछ साल बाद ही पति की मौत के बाद ही हमारी परेशानी बढ़ गयी।"

राम संजीवन सिंह चार बार विधायक और सांसद भी रहे। उसी दौरान उन्होंने महाविद्यालय की भी शुरुआत कर दी। पहले तो सब कुछ ठीक चलता रहा, लेकिन कुछ दिन बाद ही उनके ससुर राम संजीवन सिंह की भी मौत हो गयी।

जब तक पापा जिंदा थे तब तक तो सब ठीक था, लेकिन उनकी मौत के बाद ही परेशानियां बढ़ने लगी। यहां तक कि कालेज बंद होने की नौबत आ गयी थी।
रश्मि सिंह

महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य सम्पत लाल बताते हैं, "जिले के कई बड़े लोग पीछे लग गए थे, कि कालेज बंद करवा के ही मानेंगे। मान्यता भी रद्द करा दी गयी। कालेज में पढ़ने वाली लड़कियों को लगा कि उनकी पढ़ाई का क्या होगा।" वो आगे बताते हैं, "एक समय ऐसा भी है जब लोगों को तनख्वाह अनाज बेचकर देना पड़ा। लोगों को लगता था कि सांसद की बहू है, इनके पास क्या कमी है, लेकिन बहुत परेशानी झेलनी पड़ी। आज इतने संघर्ष के बाद ये कालेज यहां तक पहुंचा है।"

आज इस कालेज की लड़कियां हर सत्र में पूरे मंडल में सबसे अधिक अंक लाती हैं। शुरु में लोग अपनी लड़कियों को पढ़ने भी नहीं भेजते थे। आज कालेज में आठ सौ से भी अधिक लड़कियां पढ़ रही हैं।

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