रेल मंत्री प्रभु के दौरे के बाद भी नहींं खुला इस रेलवे स्टेशन के शौचालय का ताला

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रेल मंत्री प्रभु के दौरे के बाद भी नहींं खुला इस रेलवे स्टेशन के शौचालय का तालासिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय के नौगढ़ रेलवे स्टेशन के शौचालय में लटका रहता है ताला

कम्युनिटी जर्नलिस्ट- कृष्णदेव पांडे

कक्षा-11, उम्र-15 वर्ष

सिंहेश्वरी इंटर कालेज, नौगढ़, सिद्धार्थनगर

(नौगढ़) सिद्धार्थनगर। अंतर्राष्ट्रीय महत्व वाले जिले सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय के नौगढ़ रेलवे स्टेशन से हर दिन हजारों यात्री सफर करते हैं, लेकिन इस मुख्य स्टेशन के शौचालय में हमेशा ताला लगा होता है, इससे यात्रियों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है।

जनपद मुख्यालय सिद्धार्थनगर के रेलवे स्टेशन का नाम अभी भी नौगढ ही है। नौगढ रेलवे स्टेशन से 25 किमी. दूर बौद्ध धर्म की नगरी कपिलवस्तु स्थित है। बौद्ध तीर्थस्थल के रूप में इस स्टेशन का विशेष महत्व है। बुद्ध से जुड़ाव को देखते हुए रेलवे स्टेशन की दीवारों को भगवान बुद्ध का चित्र बनाकर सजाया गया हैं।

लेकिन जब आप स्टेशन पर व्यवस्थाओं पर निगाह डालेंगे तो शर्मनाक तस्वीर सामने आएगी। करीब एक-एक किमी लम्बे प्लेटफार्म नंबर एक व दो पर कहीं भी पेशाब घर भी नहीं बना हैं। शौचालय तो बना है मगर इसके दोनों दरवाजों पर 24 घण्टे ताला लगा रहता है।

प्लेटफार्म पर ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहे विजय बहादुर पाठक ने कहते हैं, "पूरे स्टेशन का चक्कर लगाकर देख लिया मगर कहीं भी पेशाब करने का इंतजाम नहीं दिखाई दिया। स्टेशन पर सफाई की व्यवस्था भी बदहाल रहती है इसके अलावा पानी पीने की टोटी भी कई जगह टूटी हैं।"

लम्बे निर्माण कार्य के बाद गोंडा-गोरखपुर प्रखंड पर स्थित नौगढ रेलवे स्टेशन अब बड़ी लाइन की गाडियों से जुड़ गया है। पिछले वर्ष 22 नवंम्बर 2015 को रेल मंत्री सुरेश प्रभु की उपस्थिति में यहां से लखनऊ व मुम्बई जाने वाली ट्रेनों का भी उद्घाटन कर दिया गया है। इसके बाद स्टेशन पर यात्री की आमद कई गुना बढ गयी हैं। जिससे स्टेशन की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई हैं।

पूछताछ का कोई काउंटर ना होने से यात्री इधर-उधर भटकते रहते हैं। इस सन्दर्भ में स्टेशन अधीक्षक दुर्गेश ने बताते हैं, "स्थानीय लोग शौचालय को गंदा कर देते हैं। इसलिए शौचालय में ताला लगा दिया गया हैं। आवश्यकता पड़ने पर कोई भी यात्री चाभी लेकर शौचालय का प्रयोग कर सकता है।"

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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