दीपकृष्ण शुक्ल/स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
उन्नाव। जिले में 30 फीसदी खाद्य कारोबारी अभी भी बिना रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस के काम कर रहे हैं। इसको लेकर खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने नई योजना तैयार की है। कारोबारियों को सहूलियत देने के लिए विभाग तहसीलों में कैंप लगाने जा रहा है। कैंप में कारोबारियों की समस्याओं का समाधान करने के साथ ही रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस भी जारी किया जाएगा।
मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री को रोकने व मिलावटखोरों पर कार्रवाई के लिए नया खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम-2006 सितंबर-2011 से लागू किया जा चुका है। इसके बाद से खानपान का काम करने वाले कारोबारियों को रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया गया था। विभाग ने इसके लिए शुरुआती दौर में खूब मशक्कत की। ऑनलाइन होने वाले आवेदन के लिए विभाग ने कैंप भी लगाया, लेकिन इसके बाद भी महज 70 फीसदी खाद्य कारोबारियों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया। एक सर्वे कराने के बाद विभाग को इसकी जानकारी हुई।
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खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, सालाना 12 लाख रुपए से कम का व्यापार करने वालों को रजिस्ट्रेशन और इससे ऊपर का कारोबार करने वालों को विभाग की ओर से लाइसेंस जारी किया जाता है। अब तक विभाग ने 299 कारोबारियों को लाइसेंस जारी किया है। यानि यह कारोबारी सालाना 12 लाख रुपए से ज्यादा का बिजनेस करते हैं। वहीं 3422 कारोबारियों ने रजिस्ट्रेशन कराया हुआ है।
30 फीसदी कारोबारी अभी भी रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस से दूर हैं। इसी कारण अब विभाग ने इन्हें राहत देने के लिए तहसीलों में कैंप लगाने की योजना तैयार की है।
डॉ. सुधीर कुमार, जिला अभिहित अधिकारी
वह आगे बताते हैं, “30 सितंबर तक सभी तहसीलों में कैंप लगाकर कारोबारियों का रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस जारी किया जाएगा। इसके बाद भी यदि कोई कारोबारी रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस के बिना काम करते पाया गया तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।”
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