खबर का असर: उन्नाव के 65 परिवारों की मुहिम को प्रशासन ने सराहा, जल्द होंगे पक्के शौचालय

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खबर का असर: उन्नाव के 65 परिवारों की मुहिम को प्रशासन ने सराहा, जल्द होंगे पक्के शौचालयगांव के लोगों ने अपने पैसे से बनवा लिए थे टाट-पट्टी के जुगाड़ से शौचालय।

अचलगंज (उन्नाव)। इंसान अगर मन से कोई काम ठान ले तो वह असंभव नहीं रहता। जरूरत है बस इच्छा शक्ति की। विकासखंड सिकंदरपुर कर्ण की ग्रामसभा करौंदी के छोटे से मजरा भगवतपुर के वाशिंदो ने इच्छाशक्ति मजबूत करते हुए कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। उधर, इस खबर को गाँव कनेक्शन द्वारा वेबसाइट पर प्रमुखता से चलाने के बाद मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) संजीव सिंह ने कहा, "इस गाँव में बने सभी शौचालय पक्के किए जाएंगे। ग्रामीणों द्वारा उठाया गया यह कदम सराहनीय है। ऐसे में उन्हें हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।"

स्वच्छ भारत मिशन से प्रेरणा लेते हुए इस गाँव के 65 परिवारों ने गाँव में सरकारी मदद को दरकिनार कर अपनी मेहनत से शौचालय बनवा डाले। ग्रामीणों द्वारा बनवाए गए शौचालय सरकार द्वारा बनवाए जा रहे शौचालय जैसे तो नहीं है पर यह अब गाँव की बेटियों को खुले में शौच जाने से जरूर राहत दे रहे हैं। ग्रामीणों ने फिलहाल टाट पट्टी से घेराबंदी कर शौचालय की घेराबंदी की है और उनकी मांग है कि जिला प्रशासन शौचालयों को टाट पट्टी से मुक्त कर उन्हें पक्का करा दे।

इस गाँव में बने सभी शौचालय पक्के किए जाएंगे। ग्रामीणों द्वारा उठाया गया यह कदम सराहनीय है। ऐसे में उन्हें हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।
संजीव सिंह, मुख्य विकास अधिकारी

विकास खंड सिकंदर पुर कर्ण की ग्राम सभा करौंदी का एक छोटा सा मजरा भगवत पुर इन दिनों क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है। यहां के लोगों ने खुले में शौच से मुक्ति के लिए अपना मन मजबूत किया और गाँव को स्वच्छ बनाने की ठान ली। खुले में शौच से मुक्ति पाने के लिए संसाधनो के बिना ही जुगाड़ू व्यवस्था बना टाट पट्टी के सहारे ही घरो में शौचालय बना डाले, वह भी एक दो नहीं पूरे 65। यहां के मजरे में इतने ही परिवार हैं। भगवत पुर निवासी रामाधार बताते हैं, "बारिश या सर्दियों में खुले में शौच जाना बड़ा ही जोखिम भरा काम होता है। बड़े लोग तो जैसे तैसे हो भी आते हैं लेकिन बच्चे व महिलाओं के लिए यह काम बड़ा ही दुष्कर हैं।"

करौंदी के पूर्व ग्राम प्रधान के बेटे दिलीप यादव व् प्रधान शिव सहाय ने बताया, "ग्राम सभा में पहले की अवशेष सीटें ग्रामीणों को दे दी। धन की कमी के चलते वह शौचालय को पक्का नहीं करवा सके इसके लिए उन्होंने टाट पट्टी की मदद ली। कच्चा गड्ढा खोद कर टाट पट्टी की दिवाले बना कर शौचालय बना दिए।" राम प्रसाद बताते हैं, "कम से कम बच्चे व महिलाओं को कुछ तो राहत मिलेगी। उन्हें पूरा यकीन है कि अगर जिला अधिकारी तक यह बात पहुंच जायेगी तो देर से ही सही सरकारी मदद हम लोगों को अवश्य मिलेगी। थोड़ा बहुत मेहनत मजदूरी करके हम लोग एक दिन इन्हें पक्का बना लेंगे और इस शर्म नाक कुप्रथा से हमारा गाँव छुटकारा पा जायेगा।"

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

 

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