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महिला प्रधान ने पति के साथ मिलकर बदल दी सरकारी स्कूल की सूरत 

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पंकज त्रिपाठी, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

गाजियाबाद। साथ-सुथरा क्लासरूम, मिड-डे मील के लिए अलग से रसोई घर और साफ-चमकदार परिसर। हम किसी कान्वेंट स्कूल की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि जिले के एक सरकारी स्कूल की बात कर रहे हैं। हीन भावना से देखे जाने वाले सरकारी स्कूलों का हुलिया बदला गांव के प्रधान ने। अब यह सरकारी स्कूल प्राइवेट स्कूलों को टक्कर देने लगा है।

लोनी ब्लॉक के मेवला भट्ठी की प्रधान ब्रजेश ने पति महेश गुर्जर की मदद से गाँव के सरकारी स्कूल की दशा बदलकर रख दी है। महेश का कहना है, ‘जब मेरी पत्नी गांव की प्रधान नहीं थी तो कई समस्याएं थीं। सबसे प्रमुख समस्या थी बच्चों के प्राथमिक स्कूल की। जहां अव्यवस्था गंदगी के कारण लोग अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते थे। स्कूल में भैंस बांधी जाती थी।

जुआरियों का अड्डा बन गया था। उसी समय मैंने ठान लिया कि गांव के प्राथमिक स्कूल को जिले का सबसे आदर्श स्कूल बनाऊंगा। एक वो दिन था और एक आज का दिन है, जब मेरे गाँव के स्कूल की चर्चा जिले में ही नहीं पूरे एनसीआर में हो रही है।’

गाँव के प्राथमिक स्कूल में वो सभी सुविधाएं है जो किसी कान्वेंट स्कूलों में होती है। इनवर्टर, पंखा, बच्चों के पानी पीने के लिए एक्वागार्ड , पार्क , शौचालयों में टाइल्स सभी आधुनिक सुविधाएं स्कूल में हैं।
इस गाँव के रहने वाले मास्टर मांगेराम (65वर्ष) का कहना है, ‘महेश बचपन से ही बहुत जिद्दी स्वभाव का था, जो एक बार ठान ली फिर वो करके ही मानता है। महेश की वजह से हमारे गाँव को स्कूल जिले को सबसे अच्छा स्कूल बन गया है।’

इसी गांव के बलराज सिंह (60वर्ष) का कहना है, ‘जो काम इतने समय में नही हुआ वो महेश ने कुछ ही समय में करके लोगों को दिखा दिया। स्कूल में बच्चों की संख्या 110 है, जो पहले 30 हुआ करती थी।’ इस पूरे कार्य के लिए जिले की जिलाधिकारी मिनिस्ती एस. ने भी महेश गुर्जर को सम्मानित किया और इनके काम की तारीफ की है।

बेसिक शिक्षा अधिकारी विनय कुमार ने कहा कि बाकी स्कूलों को भी मेवला भटठी से प्रेरणा लेने आवश्यकता है। स्कूल की हरियाली और शौचालयों की स्वच्छता अनुकरणीय है।

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