वकालत के साथ खेती में भी अलग पहचान, जैविक खेती को दे रहे हैं बढ़ावा
गाँव कनेक्शन 28 Dec 2016 8:22 PM GMT

ऋषभ मिश्रा (कम्युनिटी जर्नलिस्ट)
पुवायां (शाहजहांपुर)। कानूनी दांव-पेंच के साथ ही खेती में महारथ हासिल करने वाले किसान अमरपाल गर्चा की अलग पहचान है। उनके क्षेत्र के किसान उनसे किसानी के गुर सीखने आते हैं।
जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी. दूर पुवायां ब्लॉक के बरौनी गाँव के किसान अमरपाल गर्चा (55 वर्ष) दिनभर तो कचहरी में वकालत करते हैं। मगर खेती से काफी लगाव है। खेती में नए प्रयोग करना और नई फसलें उगाना उनका शौक है। फसलों में वह कम लागत में ज्यादा उत्पादन हासिल करने के लिए सहफसली खेती भी करते है।
कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से सिर्फ खाद्यान्न उत्पादन ही प्रभावित नहीं होता बल्कि पशुओं के चारे का भी संकट खड़ा हो रहा है। इस कारण पशुओं के स्वास्थ्य के साथ दूध उत्पादन की क्षमता भी प्रभावित होती है। अपने साथ ही पशुओं का चारा भी हम जैविक तरीके से उगाते हैं। ऐसे में हमारे साथ ही पशुओं को भी जैविक आहार मिल रहा है।अमरपाल गर्चा
अपने एक एकड़ के खेत में वह हर बार बुवाई से पहले मिट्टी की जांच जरुर कराते हैं। इस समय उन्होंने बरसीम के साथ मूली, शलजम और सरसों की फसल उगाई है और कम लागत में वह अधिक उपज पैदा करते हैं। जैविक उर्वरक के प्रयोग का नतीजा है कि पैदावार काफी अच्छी दिख रही है। दूसरे किसानों के खेत से ज्यादा अमरपाल की खेती में ज्यादा पैदावार होती है।
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