लंबे इंतजार के बाद गाँव को मिली बिजली, मगर अब ग्रामीणों के लिए बनी सिरदर्द

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लंबे इंतजार के बाद गाँव को मिली बिजली, मगर अब ग्रामीणों के लिए बनी सिरदर्दघरों की छत के ऊपर से गुजरते हैं 11 हजार वोल्टेज के तार।

कम्यूनिटी जर्नलिस्ट: सुनील पटेल (14 वर्ष)

स्कूल: जनता इण्टर कॉलेज रमऊ, कानपुर देहात

डाढ़ापुर (कानपुर देहात)। इस गाँव के ग्रामीण अपने गाँव में बिजली होने से खुश नहीं हैं, बल्कि इस बात से हमेशा चिन्तित रहते हैं कि कहीं इस बिजली से इनके गाँव में कोई हादसा न हो जाये।

किसी तरह गाँव में लाइट आई

कानपुर देहात जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर राजपुर ब्लॉक में डाढ़ापुर गाँव है। इस गाँव के ग्रामीणों ने बहुत प्रयास किया, तब कहीं जाकर तीन-चार साल पहले गाँव में लाइट आयी। गाँव में लाइट तो आ गयी है, लेकिन पूरे गाँव के अंदर से 11 हजार वोल्टेज के तार निकले हैं। ऐसे में ग्रामीणों को हमेशा चिंता बनी रहती है कि कभी यह तारों से कभी कोई हादसा न हो जाए।

भैंस पर गिर चुका है तार, हो गई थी मौत

इस गाँव में रहने वाले सुदेश कटियार (35 वर्ष) बताते हैं कि जब खंभे और तार लगाये जा रहे थे, तब हमे अंदाजा नहीं था कि कभी ये तार टूटकर भी गिर सकते हैं। वो आगे बताते हैं कि कुछ महीने पहले हमारे घर के सामने पड़ोसी की चौपाल में तार टूटकर गिर गया, जिससे उनकी भैंस मर गयी। बिजली विभाग वाले सूचना देने पर आये तो पर कोई समाधान नहीँ निकाला, उन्हें आज तक मुआवजा भी नहीं मिला है।

शुक्र है... जब तार टूटा, तब रात थी

गाँव के ही रामदास (45 वर्ष) का कहना है कि भैंस वाली इस घटना के बाद भी बिजली विभाग नहीं जागा। दो महीने पहले बिजली चल रही थी, तभी कुछ फॉल्ट हुई और ये तार जगह-जगह टूटकर गिर गए। जब ये तार गिरे, उस समय रात का समय था। इससे बहुत बड़ा हादसा टल गया। जिनकी छतों से ये तार होकर निकले हैं, उनके लिए तो बड़ा खतरा है।

मगर नहीं हुई कोई सुनवाई

इस घटना के बाद से ग्रामीणों ने कई बार शिकायत की, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही इसका कोई समाधान न निकाला गया तो कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। सुमन चिंतित होकर बताती हैं कि गाँव में लाइट होने से हमें कोई खुशी नहीं है। पहले ये खंभे गाँव के बाहर लगाये जाएं, इसके बाद लाइट आये, तभी हम खुश होंगे।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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