आभा मिश्रा, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
कन्नौज। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुए पांच महीने बीत चुके हैं, लेकिन परिषदीय स्कूलों में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री और अहमद हसन शिक्षामंत्री अब भी दर्ज हैं, जबकि जिले के करीब 1600 स्कूलों के लिए लगभग 80 लाख का बजट मरम्मत आदि के लिए आता है।
जिला मुख्यालय कन्नौज से करीब 20 किमी दूर प्राथमिक विद्यालय पिपरौली (विकास खंड उमर्दा) में पहुंचकर जमीनी हकीकत देखी तो कई खामियां और लापरवाही सामने आई। यह लापरवाही भले ही लोगों की नजर में छोटी हो, लेकिन कई सवाल खड़ी करती है।
गाँव के हरीशंकर (30 वर्ष) बताते हैं, ‘‘स्कूल में लगा हैंडपंप तीन महीने से खराब है। मेरी बगिया से बच्चे पानी लेने जाते हैं।’’
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पिपरौली के ही रामदेव (19 वर्ष) कहते हैं, ‘‘जिस अतिरिक्त कक्ष में आंगनबाड़ी केंद्र चलता है वहां अब भी मुख्यमंत्री का नाम अखिलेश यादव और शिक्षामंत्री का नाम अहमद हसन लिखा है।’’
करौंदा शाहनगर ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान दयाशंकर बताते हैं, “स्कूल की रंगाई-पुताई का पैसा मास्टर के खाते में आता है। पुराने नाम अब भी लिखे हैं। मेरा नाम भी स्कूल में नहीं लिखा, पुराने प्रधान का नाम लिखा है। पहले हमने कहा भी था, लेकिन सही नहीं किया गया। शौचालय बनवा सकते हैं, लेकिन टंकी स्कूल से ही रखी जा सकती है। हैंडपंप की बोरिंग हमने करा दी है।’’
खंड शिक्षा अधिकारी जय सिंह बताते हैं, ‘‘हम इस मामले को दिखवाते हैं। एक स्कूल की मरम्मत आदि के लिए हर साल साढ़े तीन हजार से अधिकतम 10 हजार रूपए आता है।’’
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आखिर निरीक्षण क्या कागजों पर होते
– शिक्षकों की हाजिरी आदि के लिए नियमित निरीक्षण करने का प्रावधान है अगर निरीक्षण होते हैं तो स्कूलों में कमियां कैसे बनी रहती हैं।
– अगर पुताई और मरम्मत का बजट आया है तो कहां चला गया।
– आखिर वर्षों पुराने नाम अब भी परिषदीय स्कूलों में क्यों लिखे हैं।
– कई स्कूलों में लगे हैंडपंप अब तक सही क्यों नहीं हुए।