पशुओं को अफारा रोग होने पर तुरंत कराएं इलाज
गाँव कनेक्शन 30 Dec 2016 3:24 PM GMT

लखनऊ। अफारा रोग पशुओं में आमतौर और अचानक होने वाली बीमारी है। यह रोग पशुओं में ज्यादा खाने या दूषित खाने के कारण होता है। इस रोग में पशु के पेट में एसिडिटी अमोनिया, कार्बनडाई ऑक्साइड, मीथेन जैसी दूषित गैस बन जाती हैं।
इस गैस का दबाव छाती पर पड़ता है और पशु को सांस लेने में तकलीफ़ होती है। इससे पशु बेचैन हो कर बैठ जाता है या एक साइड लेट जाता है। पैर पटकने लगता है। अगर इस अवस्था में तुरंत इलाज नहीं किया जाए तो पशु कुछ घंटों में मर भी जाता है।
अफारा रोग के प्रमुख लक्षण
- पशु को सांस लेने में कठिनाई होना।
- जुगाली करना बंद कर देना।
- पशु का पेट बायें और अधिक फूल जाना।
- खाना और पानी पीना बंद कर देना।
- ज़मीन पर लेट कर पाँव पटकना।
- पशु के फुले हुए पेट पर धीरे धीरे देने से ढ़ोल जैसी डब डब आवाज़ करना।
इन कारणों से होता है अफारा रोग
- खाने में अचानक बदलाव करना।
- ज्यादा मात्रा में हरा और सुख चारा और दाना खा लेना।
- चारे भूसे के साथ कीड़े और जहरीले जानवर खा जाना।
- दूषित पानी पी लेना।
- बिनौले जैसे तैलीय आहार का देना।
- हरा चारा बरसीम को खेत से काटकर सीधे पशु को खिलाना
- नए भूसे को अधिक मात्रा में देना।
- गेहूं मक्का आदि अनाज ज्यादा मात्रा में खाने से।
अफारा रोग से बचाव
- चारा भूसा आदि खिलने से पहले पानी पिलाएं।
- प्रतिदिन पशु को कुछ देर खुला चरने दें।
- पशुओं को दूषित चारा, दाना भूसा और पानी न दें।
- हरा चारा जैसे बरसीम ज्वार रजका बाजरा काटने के बाद कुछ समय पड़ा रहने दें उसके बाद खिलाएं।
- पशु को लगातार भोजन ना दें कम से कम 20 मिनट का अन्तराल जरूर दें।
- हरा चारा पूरी तरह पकने के बाद ही खिलाएं।
- अचानक पशु के खानपान में परिवर्तन नहीं करें।
पशु में अफारा होने पर अन्य अफारानाशक औषधियां
अफारानाशक दवाइयों के नाम
1. Afron एफ़्रोन
यह बड़े पशुओं को जैसे बैल भैंसे आदि को एक लीटर गुनगुने पानी में 50 ग्राम मिलाकर नाल द्वारा दिया जाना चाहिए।
2. GARLILL
यह पाचन क्रिया में गड़बड़ी होने पर लाभदायक है। इसे 10 ग्राम की मात्रा में मुंह के द्वारा देना चाहिए।
3. TIMPOL टीम्पोल
यह भी एक आयुर्वेदिक दवाई है। इसे 25 से 80 ग्राम गुनगुने पानी या LINSID तेल के साथ दिन में दो बार देना चाहिए।
4. TYMPLAX टाईम्पलेक्स
यह पेट में वायु गोला, अफारा आदि में काम आती है। इसे 100मिली. की मात्रा में देना चाहिए।
ओपिनियन पीस: डॉ. ओपी वर्मा पशुचिकित्सक, शाहजहांपुर
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