स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
कानपुर। रेल या बस में सफ़र के दौरान आप पीने के लिए पानी की जो बोतल खरीदते हैं, उसके इस्तेमाल के बाद उस बोतल का क्या होता है। आप इस्तेमाल के बाद उसे कहीं सड़क पर फेंक देते हैं या ट्रेन या बस में छोड़ देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वही बोतल दोबारा पानी भरकर आपको दे दी जाती है? अब अगर आप रेल या बस में सफर करें तो आगे से पानी की बोतल जरा सोच समझकर कर खरीदिएगा, क्योंकि कहीं वह बोतल दोबारा भरकर आपको न बेच दी गई हो।
इस समय कानपुर नगर में पानी की बोतलों को दोबारा भरकर बेचने का कारोबार बड़े व्यापक स्तर पर चल रहा है। किसी के द्वारा पानी पीकर फेंकी गई बोतल को इकट्ठा कर लिया जाता है और इनमें दोबारा पानी भरकर सील लगा कर आपको वापस से बेच दिया जाता है । चाहे वह कानपुर सेंट्रल या शहीद मेजर सलमान खान अंतर्राज्जीय झकरकटी बस अड्डा। इन जगहों पर बिकने वाली ज्यादातर पानी की बोतलें दोबारा पानी भरकर बेची जाती हैं।
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ज्यादातर लोग सफर के दौरान खरीदी गई पानी की बोतल का इस्तेमाल करके या तो सड़क के किनारे फेंक देते हैं या फिर अपनी सीट पर छोड़ देते हैं। बस यही से इस गोरखधंधे की शुरुआत होती है। बोतल बीनने वाले छोटे-छोटे बच्चे इन बोतलों को उठा लेते हैं।
बस अड्डे में भी नियमित रूप से चेकिंग होती रहती है और यदि इस तरह की कोई भी अवैध वेंडर दिखते हैं तो उनकी बाल्टियां इत्यादि जमा करा ली जाती है।
राजीव कटियार, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, शहीद मेजर सलमान खान अंतरराज्जीय बस अड्डा
यह 10 से 15 साल के बीच के बच्चे और किशोर इन बोतलों को इकट्ठा करके 50 पैसे प्रति बोतल के हिसाब से पानी के माफियाओं को बेच देते हैं और पानी के माफिया इन बोतलों को दोबारा भरकर सील कर कर आप तक पहुंचा देते हैं। आप इन बोतलों का पानी साफ और कंपनी का समझ कर पीते हैं जबकि यह पानी किसी हैंडपंप या पानी की टंकी का भरा हुआ होता है इसलिए स्वास्थ्य के लिए पानी बहुत ही हानिकारक होता है।
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कानपुर सेंट्रल स्टेशन के बाहर हो या बस अड्डे पर दर्जनों युवक हाथ में बाल्टी लिए खाद्य सामग्री की बिक्री करते हैं । पानी की बोतलों को खरीदकर दोबारा भरकर बेचने का काम करने वाला आमिर का कहना है, “पहले हम छोटे बच्चों से 50 पैसे प्रति बोतल के हिसाब से पानी की बोतल खरीदते हैं। यदि बोतल का लेवल फटा हुआ है या बोतल तुड़ी-मुड़ी है तो बोतल की कीमत कम हो जाती है। फिर इस बोतल को साफ पानी से धोकर इसमें दोबारा पानी भर दिया जाता है और सील लगाकर पैक कर दिया जाता है। एक दिन में हम लोग लगभग 1800 से 2000 बोतल में भरकर बेच देते हैं।”
रेलवे स्टेशन पर तो समय-समय पर छापा मारकर खाद्य सामग्री या पानी बेचने वाले अवैध वेंडरों के खिलाफ कार्यवाही होती रहती है, लेकिन बस अड्डों पर ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं होती है। जिसके कारण बस अड्डे पर इस तरह की पानी की बोतलें ज्यादा संख्या में बिकती हैं।
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शहीद मेजर सलमान खान अंतरराज्जीय बस अड्डे के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक राजीव कटियार बताते हैं, “बस अड्डे में भी नियमित रूप से चेकिंग होती रहती है और यदि इस तरह की कोई भी अवैध वेंडर दिखते हैं तो उनकी बाल्टियां इत्यादि जमा करा ली जाती है। यहां पर सामग्री बेचने के लिए 2000 रुपए जमा करने के बाद परिचय पत्र जारी किया जाता है, जिसके बाद परिचय पत्र धारी युवक बस अड्डे पर सामान बेच सकता है।”
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इस बात से यह तो साबित होता है की सामान बेचने के लिए वेंडरों को पास बनवाना आवश्यक है, लेकिन कोई यह देखने वाला नहीं है कि जो सामान बेचा जा रहा है उसकी गुणवत्ता क्या है। प्रदूषित पानी पीने से हैजा, टाइफाइड, पेचिस, दस्त, पीलिया इत्यादि जैसे संक्रामक रोग हो सकते हैं।