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पीपल के पौधे लगाकर आयशा व शकीरा ने दिए पर्यावरण बचाने का संदेश

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रहनुमा बेगम, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

औरैया। सर्व धर्म संभाव का परिचय देकर मुस्लिम धर्म की एक महिला और तीन युवतियों ने पीपल और बरगद के पौधे लगाए। धर्म और आस्था से ऊपर उठकर पर्यावरण बचाने की इस मुहिम को गति देने के लिए क्षेत्रवासी अब इनके कार्य की सराहना कर रहे हैं।

मुरादगंज की रहने वाली आयशा (20), शकीरा (22), निशा (23) और परवीन ने विश्व पर्यावरण दिवस पर हिंदू धर्म और आस्था से जुड़े पीपल और बरगद के पौधे लगाने का संकल्प किया। चारों महिलाओं ने धर्म और मजहब की जंजीरों में जकड़े जीवन की मानसिकता से ऊपर उठते हुए राष्ट्रहित व पर्यावरण की सुरक्षा को महत्व दिया। उनके अनुसार हिंदुस्तान में रहने वाला हर एक शख्स हिदुंस्तानी है भले ही वह किसी भी मजहब का हो। मुस्लिम महिलाओं ने मुरादगंज और जसवंतपुर गांव में जाकर पीपल, व बरगद के पौधे लगाए।

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यही नहीं, पौधे लगाने के बाद इन्होंने आस-पास के लोगों से उनमें पानी डालने के लिए संकल्प भी लिया। आयशा ने कहा कि मजहब बाद में है, सबसे पहले हम इंसान है। इंसान को किसी जाति-भेद में जकड़े रहना एक शैतानी हरकत है। ऐसा धर्म किस काम का जो इंसान को इंसान के काम आने में बाधा पैदा करे। वह अपने साथ कि सभी बहनों और सहेलियों को एक ही शिक्षा देती है कि हम इस्लाम धर्म में पैदा हुए है तो क्या लाल, हरे रंग से बट जाएगें।

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आयशा का कहना है, “पीपल और बरगद भले ही हिंदू धर्म से जुड़ा पौधा हो, लेकिन वह आक्सीजन सभी को देता है। तब वह किसी से नहीं पूछता कि आक्सीजन हम हिंदू को देंगे मुसलमान को नहीं।” वहीं, निशा का कहना है,“ धर्म के वसूलों पर चलना मंजूर है पर कटटरता की बेडि़यों में जकडे रहना मेरी फितरत में नहीं।”

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