स्तनपान को लेकर जागरूक हो रही ग्रामीण महिलाएं

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स्तनपान को लेकर जागरूक हो रही ग्रामीण महिलाएंजन्म से छह माह तक बच्चों को स्तनपान कराना कितना जरूरी है, इस बात को ग्रामीण महिलाएं भी समझने लगी हैं।

नीतू सिंह, (स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क)

यह खबर हमें इन्होंने बताई: कम्यूनिटी जर्नलिस्ट: उमा शर्मा,

कक्षा: 11 उम्र: 17

स्कूल: प्रखर प्रतिभा इंटर कॉलेज, बैरी कानपुर देहात

कन्नौज/कानपुर देहात। जन्म से छह माह तक बच्चों को स्तनपान कराना कितना जरूरी है, इस बात को ग्रामीण महिलाएं भी समझने लगी हैं। सरकार की तमाम योजनाओं के तहत गाँव-गाँव में समय-समय पर महिलाओं को जागरूक किया जाता है जिसका नतीजा ये हो रहा हैं कि अब महिलाओं की भ्रांतियां कम हो रही हैं और वो छह माह तक बच्चों को स्तनपान करा रही हैं।

कन्नौज जिले के जलालाबाद ब्लॉक से 27 किलोमीटर दूर जसपुरापुर सरैंया गाँव हैं। इस गाँव में रहने वाली ममता (30 वर्ष) का कहना है कि हमारा साढ़े तीन महीने का बच्चा है। पहले हम कभी-कभी उसे थोड़ा सा पानी पिला देते थे। वो आगे बताती है, “जब एक दिन मातृत्व सप्ताह के दौरान आंगनबाड़ी केंद्र पर गए। वहां डॉ वरुण सिंह कटियार ने बताया कि छह माह तक बच्चे को कुछ भी नहीं देना है इसलिए अब हम बच्चे को पानी भी नहीं देंगे।

कोलस्ट्रम यानि मां का पहला पीला गाढ़ा दूध पोषणयुक्त व रोग प्रतिरोधक होता है। मां का दूध नवजात के लिए संपूर्ण पोषण और आहार है। जन्म के पहले घंटे के अंदर बच्चे को स्तनपान कराना बहुत जरूरी है । शिशु के जन्म से छह माह तक कोई भी भोज्य पदार्थ और पानी न दें। बच्चे के साथ-साथ मां के लिए भी स्तनपान कराना कई सारी बीमारियों से निजात दिलाना है। उत्तर-प्रदेश में 40 प्रतिशत शिशुओं को पूर्ण स्तनपान नहीं मिलता है जबकि जन्म से छह माह तक मां का दूध ही सर्वश्रेष्ठ आहार है।
डॉ. आरती पाण्डेय, स्त्री रोग विशेषज्ञ, लखनऊ

कानपुर देहात जिले में राजपुर ब्लॉक से 10 किलोमीटर दूर हाथूमा गाँव की सोनी (25 वर्ष) का कहना है कि हमारी पहली बेटी और दूसरा बेटा दोनों सरकारी अस्पताल में हुए जहां आशा बहू ने उनके जन्म के एक घंटे के अन्दर स्तनपान करवा दिया। वो आगे बताती हैं, “हमने चार वर्षीय बेटी को छह माह तक ऊपर की कोई भी चीज नहीं खिलाई जिससे वो कभी बीमार नहीं पड़ी।”

सोनी आगे बताती हैं, “हमारे गाँव की आशा बहू सभी गर्भवती महिलाओं को ये पहले से बता देती हैं कि जन्म से छह माह तक बच्चे को स्तनपान कराने से बच्चा ज्यादा बीमार नहीं पड़ता है। हर महिला चाहती है कि उसका बच्चा कभी बीमार न पड़े इसलिए सभी भ्रांतियों को समाप्त करके अब महिलाएं बच्चों को समय से स्तनपान कराने पर ध्यान देती हैं।”

मां का पहला दूध कोलेस्ट्रम है औषधि

कोलस्ट्रम यानि मां का पहला पीला गाढ़ा दूध पोषणयुक्त व रोगप्रतिरोधक होता है। बच्चे के साथ-साथ माँ के लिए भी स्तनपान कराना कई सारी बीमारियों से निजात दिलाना है। मां पानी ज्यादा पिएं ,कैल्शियम और आयरन युक्त आहार लें, हरी पत्तेदार सब्जियों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें जिससे कि बच्चे में मां के माध्यम से पोषण की मात्रा पहुंचती रहे। इस तरह मां और शिशु दोनों स्वस्थ्य रहेंगे।
डॉ वरुण सिंह कटियार, चिकित्साधिकारी राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, जलालाबाद ब्लॉक, कन्नौज।

यूनिसेफ से मिले आंकड़ों के मुताबिक 2016 के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में शिशु मृत्यु दर 37 फीसदी है। साल 2013-14 के आंकड़ों के अनुसार जन्म के समय 2500 ग्राम से कम वजन के बच्चे पूरे देश में 18. 6 प्रतिशत और उत्तर-प्रदेश में ये संख्या 22. 5 प्रतिशत है। जन्म के एक घंटे के भीतर बच्चों को स्तनपान करवाने की संख्या (0-23 महीने तक ) देश में 44. 6 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 22. 6 प्रतिशत है। बच्चे के जन्म से पांच महीने तक देश में 64. 9 प्रतिशत और प्रदेश में 62. 2 प्रतिशत है।

निश्चित तौर पर ये आंकड़े चिंताजनक है। इस स्तिथि को बेहतर करने के लिए सरकार कई तरह के जागरूकता अभियान चला रही हैं जिसके परिणाम पहले से बेहतर हो रहे हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत डॉ की टीम गाँव-गाँव जाकर महिलाओं को जागरूक कर कर रही है कि छह माह तक स्तनपान करवाना बच्चे और मां दोनों के स्वास्थ्य के लिए बेहतर है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

  

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