बुंदेलखंड में खेतों में कट रही हैं किसानों की रातें, बंदूकें होने के बावजूद नहीं मिल रहा नीलगाय के शिकार का परमिट

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बुंदेलखंड में खेतों में कट रही हैं किसानों की रातें, बंदूकें होने के बावजूद नहीं मिल रहा नीलगाय के शिकार का परमिटमथुरा में परेशान किसानों ने नीलगायों को पकड़-पकड़ कर अब बांधना शुरु दिया है। फोटो विनय

अरविंद परमार (कम्यूनिटी जर्नलिस्ट)

ललितपुर (बुंदेलखंड)। नीलगाय ने बुंदेलखंड के किसानों की नींद उड़ा रखी है। रखी है। किसानों के परिवार पूरी-पूरी रात खेतों में बिता रहे हैं, कई किसानों तक 10-15 दिन से घर नहीं जा पा रहे हैं। लोगों के घर खाली रह जाते हैं लेकिन खेतों की रखवाली से नहीं चूकते हैं क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही से पूरी फसल चौपट हो सकती है।

गगनियां गाँव के चन्द्रपाल पायक (32 वर्ष) बताते हैं, “गाँव के पास से छपरट रेंज लगी है, वहीं पर हमारे खेत हैं। सैकड़ों की संख्या में नीलगाय हैं। अगर फसल चाहिए तो रखवाली करनी ही पडती है। दिन हो रात पूरे गांव के लोग खेतों पर मिलेगे घर पर नहीं। एकआध सदस्य ही घर पर ही मिलेगा।”

वो आगे बताते हैं, "बडे भाई के पास लाइसेन्सी बन्दूक तो हैं, लेकिन नीलगाय मारने की परमीशन नहीं है! कई बार डीएम साहब को प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।”

ललितपुर जनपद से पूर्व दिशा महरौनी तहसील के चौकी, दिगवार, गगनियां, गुन्द्रापुर, छपरट, भौरट, सतलींगा, भैरा दर्जनों गाँव मैं वनरोज (नील गाय) का प्रकोप से परेशान हैं, जिस बजह से रवि की फसल बचाना किसी चुनौती से कम नहीं है।

कमलेश विश्वकर्मा (40 वर्ष) बताते है कि "12 लोगों का परिवार है, छै एकड जमीन मे दो कुन्तल गेहूँ व एक कुन्तल चना बोया है, तभी से पूरा परिवार फसल की रखवाली करता है, क्योकि नील गायो का आतंक है, झुन्ड के झुन्ड घूमते है, अगर फसल की रखवाली नही करेगे तो फसल नीलगाय बर्वाद कर देगी, ऐसे मै अन्न का एक दाना भी नही होगा! यह हाल दिगवार का नही बल्कि आज पास के दर्जनो गाँवो मे नीलगाय का आतंक है! वो आगे बताते है कि "दिन हो रात! 24 घण्टे रखवाली करनी पडती है, गाँव का आलम यह है कि पुरूष हो या महिला, बच्चे सभी खेतो की रखवाली करते है, गाँव के 80 प्रतिशत लोग रात मे खेतो पर ही सोते है,और नीलगाय से फसल को बचाते है!"

दिगवार गाँव के कन्छेदी लाल कुशवाहा (44 वर्ष) के परिवार से सात लोग हैं, उनके परिवार के ज्यादातर लोग खेत पर ही वक्त बिताते हैं। कन्छेदी लाल मायूसी के साथ बताते हैं, कर्जा लेकर मटर और गेहूं बोई है। 15 दिन से घर नहीं गया हूं क्योंकि खेत को सूना नहीं छोड़ सकते है वर्ना पूरा खेत नीलगाय बर्बाद कर देंगी।”

य़े हालात सिर्फ ललितपुर में नहीं है। बुंदेलखंड के सातों जिलों लोग परेशान हैं। अन्ना पशुओं से पहले से परेशान इन किसानों के लिए नीलगाय किसी मुसीबत से कम नहीं है। बांदा के जिला कृषि अधिकारी बाल गोविंद यादव बताते हैं, समस्या तो हर जगह है। अन्ना पशुओं के लिए तो लगातार कोशिशें जारी हैं लेकिन नीलगाय के लिए कृषि विभाग के पास कोई नियम-कानून नहीं है। वनविभाग ही शिकार की अनुमति देता है, लेकिन वो प्रकिया इतनी लंबी है किसान ही पीछे हट जाते हैं।” सरकार ने समस्या होने पर नीलगाय को सशर्त मारने की अनुमति दी है। लेकिन वन विभाग के नियम इतने कड़े हैं कि किसान आगे नहीं आना चाहते।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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