गाभिन भैंसों की देखभाल है जरूरी 

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गाभिन भैंसों की देखभाल है जरूरी गाभिन भैंसों को पशुपालक दें पोषक आहार।

गर्भधारण से लेकर भैंस के ब्याने तक पशुपालक को उनका खास ध्यान रखना आवश्यक होता है। भैंस का गर्भकाल 310-315 दिन का होता है। गाभिन पशु के गर्भ का विकास 6-7 महीने के दौरान तेजी से शुरू हो जाता है। इसके दौरान पशु की देखभाल जरूरी होती है वरना उनकी सेहत और दूध उत्पादन में प्रभाव पड़ सकता है।

भरपूर मात्रा में दें पोषक आहार

गर्भावस्था के दौरान पशुओं को जो आहार दें, उसमें भरपूर मात्रा में पोषण हो। तीन महीने के बाद बच्चे का कंकाल तैयार होने लगता है। उस समय गाय दूध देने की अवस्था में भी होती है इसलिए उनमें कैल्शियम की कमी न होने दें। उन्हें पशु आहार के साथ कैल्शियम की पूरी मात्रा दें। कई ग्रामीण क्षेत्रों में देखा गया है कि जिन पशुपालक के पास बहुत सारे गाय-भैंस होते हैं वो ऑक्सीटोसीन इंजेक्शन का प्रयोग करते हैं और जल्दी-जल्दी दूध निकालते हैं। ये इंजेक्शन गाभिन पशुओं के लिए काफी हानिकारक होता है। इस पर प्रतिबंध के बावजूद कुछ पशुपालक इसका प्रयोग करते हैं।

इन बातों का रखें ख्याल

  • 6-7 महीने के गाभिन पशु को चरने के लिये ज्यादा दूर तक नहीं ले जाना चाहिए।
  • ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर नहीं घुमाना चाहिए।
  • अगर गाभिन पशु दूध दे रहा हो तो गर्भावस्था के लिये पर्याप्त स्थान होना चाहिए और पशु जहां बंधा हो, उसके पीछे के हिस्से का फर्श आगे से कुछ ऊंचा होना चाहिए।
  • गाभिन पशु को पोषक आहार की आवश्यकता होती है, जिससे ब्याने के समय दुग्ध-ज्वर और कीटोसिस जैसे रोग न हों तथा दुग्ध उत्पादन पर किसी तरह का असर न पड़े।
  • गाभिन पशु को पीने के लिये 75-80 लीटर प्रतिदिन स्वच्छ व ताजा पानी उपलब्ध कराना चाहिए।
  • पशु के पहली बार गाभिन होने पर 6-7 माह के बाद उसे अन्य दूध देने वाले पशुओं के साथ बांधे और शरीर, पीठ, थन की मालिश करनी चाहिए।
  • ब्याने के 4-5 दिन पहले पशु को अलग स्थान पर बांधना चाहिए और ध्यान रखना चाहिए कि जगह साफ, हवादार व रोशनीदार हो।
  • जहां पर पशु बैठे, वहां के फर्श पर सूखाचारा डाले।
  • ब्याने के 1-2 दिन पहले से पशु पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

गर्भावस्था में पशुओं का आहार

हरा चारा - 25 से 30 कि.ग्रा.

सूखा चारा - 5 कि.ग्रा.

संतुलित पशुआहार - 3 कि.ग्रा.

खली - 1 कि.ग्रा.

खनिज मिश्रण - 50 ग्राम

नमक - 30

ध्यान देने वाली बात

पशु के गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर की सलाह अश्वय लेते रहें ताकि पशु में कोई बड़ी दिक्कत न होने पाये।

(ओपनीयन पीस: डॉ राजेंद्र प्रसाद, मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी, शाहजहांपुर)

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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