अलार्म न बजने की वजह से हुआ ट्रामा सेंटर में हादसा 

KGMU Trauma Centre

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। शनिवार शाम सात बजे किंग जॉर्ज मेडिकल युनिवर्सिटी के ट्रामा सेंटर में दूसरे तल पर शार्ट सर्किट की वजह से भीषण आग लग गयी। धुआं निकलना शुरू होने के बाद आग लगने का पता चला। आग का पता देर में चलने का मुख्य कारण अलार्म का न बजना बताया जा रहा है।

आग लगे के कुछ समय बाद पूरा प्रशासन सक्रिय हो गया और आग पर काबू पाए जाने का प्रयास शुरू कर दिया। आग लगने के लगभग 20 मिनट के बाद अग्निशमन विभाग भी अपने दमकल कर्मियों के साथ वहां पर पहुंचा और आग पर लगभग एक घंटे में काबू पा लिया, लेकिन पूरी तरीके से लगभग तीन घंटे में आग पर काबू पाया गया। आग लगने के बाद अस्पताल की फायर व्यवस्था कार्यशील न होने से आग इतनी बड़ी हो गयी थी।

आग लगते ही मरीजों को शिफ्ट किया गया

किंग जॉर्ज मेडिकल युनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने बताया, “आग लगने के थोड़ी देर बाद ही सभी मरीजों को शिफ्ट किया जाने लगा था। इसमें पूरी युनिवर्सिटी के लोग जुट गये थे, जिनकी मदद से 178 मरीजों को युनिवर्सिटी के शताब्दी अस्पताल, गांधी वार्ड, कोर्डियोलोजी और कई अन्य अस्पतालों में भर्ती कर दिया गया था। बलरामपुर में 11 मरीजों को और सिविल अस्पताल में तीन मरीजों को शिफ्ट किया गया था। जिनको अब वापस लाया जायेगा।”

काफी समय से खराब है अस्पताल का अलार्म

उन्होंने आगे बताया, “आग लगने के बाद पूरा प्रशासन अस्पताल पहुंच गया था| लखनऊ मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने अपनी 12 एम्बुलेंस को मौके पर भेज कर मरीजों को शिफ्ट करने में काफी मदद की। रात भर के लिए सभी डॉक्टरों को ड्यूटी करने के आदेश दे दिए गये थे, जिससे मरीजों को कोई भी तकलीफ न हो और डॉक्टरों ने अपना पूरा काम जिम्मेदारी से किया।”

मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश

मुख्यमंत्री ने दुसरे दिन केजीएमयू का सुबह साढ़े दस बजे दौरा किया, उन्होने ट्रामा सेंटर, शताब्दी अस्पताल और कोर्डियोलोजी का निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने लगभग 50 मरीजों से बात की उनके इलाज के बारे में उनसे पूछा। उन्होंने सरकार द्वारा सभी प्रकार की मदद का आश्वाशन दिया| मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों को भी सुचारू रूप से इलाज जारी रखने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कमिश्नर को आदेश भी दिया है कि वो इस मामले की जांच करे तीन दिनों के अन्दर रिपोर्ट भी दें।

हादसे में पांच लोगो की मौते, अस्पताल ने किया मना

तीमारदारों का कहना है कि ऑक्सीजन न मिलने से करीब 7 मरीजों की मौत हो गई है, जिनमे दो बच्चे भी शामिल हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने इसे मना कर दिया है कि उनकी मृत्यु आग लगने की वजह से ही हुई है। कुलपति ने बताया, ” जिन दो बच्चों की मौत हुई हैं वह आग लगने से पहले ही हो चुकी थी। ट्रामा सेंटर में आग लगने की वजह से उनकी मृत्यु नहीं हुई है, इसी प्रकार जो गांधी वार्ड में तीन मौते हुई हैं वो मरीज भी पूरी तरीके से बीमार थे।”

मुख्यमंत्री ने की मुआवजे की घोषणा

अस्पताल में जिन लोगों की मौत आग लगने से हुई है उन लोगो को मुख्यमंत्री ने दो-दो लाख रूपये देने की घोषणा की है, हालांकि अस्पताल प्रशासन ने किसी भी मौत का आग से होने से साफ़ इनकार कर दिया है।

अस्पताल में फायर सिस्टम नहीं कर रहा था काम

लखनऊ मुख्य अग्निशमन अधिकारी अभयभान पाण्डेय ने बताया, “अस्पताल में फायर सिस्टम तो लगा था लेकिन काम नहीं कर रहा था। अस्पताल का फायर सिस्टम काम कर रहा होता तो आग इतनी बड़ी नहीं फैलती। अलार्म भी काम नहीं कर रहा था ये भी बड़ी वजह है। आग बुझाने में काफी मेहनत करनी पड़ी। आग पर पूरी तरीके से तीन घंटे में काबू पाया गया। सभी अस्पतालों को फायर सिस्टम जरुर सही रखना चाहिए, जिससे अस्पताल में कोई हादसा न हो।”

गृहमंत्री ने भी लिया संज्ञान

जब गृहमंत्री राजनाथ सिंह को इस मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने सीधे KGMU के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट से तुरंत मामले का संज्ञान लिया साथ ही NDRF की सेवा देने की बात कही , जिस पर कुलपति ने मामले को देखते हुए फैसला लिया।

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