मोहम्मद आमिल, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
एटा। जिले में पशुओं के उपचार की सुविधाएं न के बराबर हैं। अधिकतर पशु चिकित्सालय खण्डहर में तब्दील हैं, डॉक्टरों की कमी है। फार्मासिस्ट की तैनाती नहीं है। दो ब्लॉक पर बहुउद्देशीय सचल वाहन नहीं हैं। समय पर कोई पशु चिकित्सक चिकित्सालय पर नहीं पहुंचता।
जनपद के ग्रामीण इलाकों में पशु चिकित्सालय की लाचार हालत के कारण अधिकतर ग्रामीण अपने पशुओं का उपचार झोलाछाप पशुचिकित्सकों से कराते हैं। मारहरा ब्लॉक के गाँव सुलनतापुर निवासी ग्रामीण मनीराम (45 वर्ष) का कहना है, “हमारे पशु जब बीमार होते हैं तो हम गाँव के ही डॉक्टर को दिखा देते हैं। गाँव से अस्पताल आठ किलोमीटर दूर मिरहची में है वहां हम बीमार पशु ले नहीं जा सकते और अस्पताल पर डॉक्टर मिलें या न मिलें इसका भरोसा नहीं है।”
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डॉ. आरके शर्मा, उप मुख्य चिकित्साधिकारी ने कहा कि यह अलीगंज तहसील की मुख्य बिल्डिंग है जो पूरी तरह से खण्डहर बन चुकी है, यहां स्टाफ की कमी है चपरासी तक नहीं है। झाड़ू भी खुद लगानी पड़ती है। मैंने अपने पैसों से इस बिल्डिंग की पुताई कराई, लेकिन यहां मेन गेट न होने से अराजक तत्व घुस आते हैं। यहां बिजली तक नहीं है, कई बार इसकी रिपोर्ट आलाधिकारी को दी लेकिन कोई हल नहीं निकला।
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