जानिये देश के गौरव सम्बन्धी कानून को

स्वतंत्रता दिवस

नवनीत शुक्ल,स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

बरेली। देश और राष्ट्रीय चिन्हों के प्रति सम्मान का भाव रखना सिर्फ देशभक्ति ही नहीं कानून के अंतर्गत भी आता है। ध्वजारोहण, राष्ट्र गान एवं संविधान के प्रति नागरिकों की जिम्मेदारी तय करते हुए सरकार ने राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971में कुछ संसोधन किये हैं। आज कल जुलूस और कार्यक्रम में राष्ट्र ध्वज के प्रयोग का चलन तेजी से बढ़ा है। आम नागरिक को देश के ध्वज के प्रयोग हेतु इजाजत देने के बाद ध्वज से जुड़े नियमों को ध्यान में रखना चाहिए। ये नियम पूरे भारत में समान रूप से लागू है।

कोई भी व्यक्ति सार्वजानिक स्थान पर भारतीय ध्वज को जलाये, क्षतिग्रस्त , कुरूपित, मौखिक या लिखित रूप से अनादर करे तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है। ध्वज में कोई चित्र उकेरने या कढ़ाई करने को भी अपराध माना गया है। राष्ट्र ध्वज का प्रयोग किसी को सलामी देने के लिए भी नहीं किया जा सकता है एवं जिन अवसर पर ध्वज को कानूनन झुका के फहराना है उसके अलावा ध्वज झुका के फहराना भी गलत है।किसी भी राजकीय व्यक्ति,सशस्त्र या अर्ध सैनिको की अंत्येष्टि के अलावा किसी अन्य रूप में लपेटा जाना निषेध्य है।

ध्वज को किसी भी प्रकार के वेश के रूप में तथा इसे कमर के नीचे लपेटने की मनाही है। इसके साथ ही किसी भी अवसर पर ध्वज में मात्र पुष्प ही लपेटे जा सकते हैं।किसी वस्तु को ले आने ले जाने के लिए इसका प्रयोग करना दंडनीय है।ध्वज को किसी वाहन, ट्रेन, नाँव, जहाज या अन्य वस्तु के हुड, टॉप, बगल या पिछले भाग पर लपेटना, किसी भवन में परदे के रूप में प्रयोग करना, जान बूझ कर फर्श पर छूने या पानी पर घसीटने देना, जानबूझ कर केसरी पट्टी को नीचे रख कर फहराना दंडनीय अपराध है।

इस पर भी दें ध्यान

अधिनियम के अनुसार भारत के संविधान के प्रतियों से छेड़छाड़ करना, कुरूपित करना या विकृत करना तथा राष्ट्र गान को गाये जाने से रोकना या गायन कर रही किसी सभा में व्यवधान उत्पन्न करना भी दंडनीय अपराध है।

क्या है इसकी सजा

जो भी व्यक्ति राष्ट्रीय ध्वज, संविधान एवं राष्ट्र गान का अनादर या एक्ट में वर्णित कोई निषेध कार्य करता है तो उसे तीन वर्ष का कारावास या जुर्माने से अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

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