देवहा नदी का किनारा बना कूड़ा घर 

Swayam Project

अनिल चौधरी, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

पीलीभीत। जनपद की देवहा नदी की हालत बहुत खराब है। पिछले दिनों नदियों को प्रदूषण से बचाने का अभियान चला था, जिसके तहत देवहा नदी में मूर्ति विसर्जन पर तो पाबंदी लगा दी गई लेकिन नगरपालिका को हर रोज नदी के किनारों पर टनों कूड़ा डालने की खुली छूट दे दी गई।

लगभग सवा दो लाख आबादी वाले शहर में नगर पालिका ने शहर के कूड़ा निस्तारण के लिए 34 अस्थाई जलावघर बना रखे हैं। नगर पालिका के सफाईकर्मी क्षेत्र के 27 वार्डों से कूड़ा उठाकर इन्हीं अस्थाई डलावघरों में डालते हैं जो आवारा पशुओं द्वारा सड़कों पर ही फैला दिया जाता है जिससे सारे शहर में चारों तरफ गंदगी फैली देखी जा सकती है।

नगर पालिका इस कूड़े को अपने वाहनों में भरवाकर देवहा नदी के किनारे डाल देता है। कूड़ा निस्तारण की स्थाई व्यवस्था के तहत नगर पालिका ने बरखेड़ा के पास जमीन को चिन्हित किया था, लेकिन जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर होने के कारण उस जगह को स्थाई कूड़ाघर बनाने का नगर पालिका का प्रयास असफल रहा और लगातार देवहा नदी पर ही कूड़ा डाला जाता है।

इसके साथ-साथ नगर में मृत पशुओं को भी देवहा नदी के किनारे ही दबाया जाता है। कभी-कभी तो इस नदी के किनारे पर मृत पशुओं को खुले में ही डाल दिया जाता है, जिससे वायु व जल दोनों ही प्रदूषित होते हैं। इस बारे में जिला पशु चिकित्साधिकारी लक्ष्मी प्रसाद बताते हैं, “मृत पशुओं के शरीर से जो दुर्गंध निकलती है वह करीब एक-डेढ़ किमी तक क्षेत्र में वायु को प्रदूषित करती है, जिससे जानलेवा बीमारियां फैलने का खतरा रहता है।”

इस समस्या के बारे में नगर पालिका परिषद के चेयरमैन प्रभात जायसवाल ने बताया, “नगर पालिका के पास जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई ऐसी कोई जगह नहीं है जहां स्थाई रूप से कूड़े का निस्तारण किया जा सके।

अब एक स्थान को चिन्हित किया गया है जहां स्थाई डलावघर बनाया जाएगा।” इस बारे में देवहा नदी से मात्र 500 मी. की दूरी पर रहने वाले मुखबिर सिंह (45 वर्ष) ने कहा, “नदी के कूड़े से आने वाली बदबू से हम अपने घर के आंगन या छत पर खुले में नहीं बैठ सकते।”

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