एक ढिबरी ने दिलाया फसल को नीलगाय और कीटों से छुटकारा

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एक ढिबरी ने दिलाया फसल को नीलगाय और कीटों से छुटकाराखीरी जिले के मैनहन गाँव के किसान के छोटे से प्रयोग से हजारों रुपए की फसल सुरक्षित

नीतू सिंह

यह खबर हमें बताई-

कृष्ण कुमार मिश्र, वन्य जीव विशेषज्ञ, ग्राम- मैनहन

जिला-खीरी

मैनहन (खीरी)। फसलों पर नीलगाय का संकट सदियों से मंडरा रहा है। इस बीच किसानी पर कीट-पतंगों का हमला भी दर्द बढ़ाता रहा है। इस नुकसान से बचने के लिए हमने ढिबरी (दीपक) जलाकर अपने खेत में रख दी। इस ढिबरी की रोशनी से न तो खेत में नीलगाय आती और न ही कीट पतंगे। ये कहना है गुड्डू का।

खीरी जिले के मैनहन गाँव के किसान के छोटे से प्रयोग से हजारों रुपए की फसल सुरक्षित

खीरी जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर मितौली ब्लॉक के मैनहन गाँव के निवासी गुड्डू कुमार (40 वर्ष) बताते हैं, “मैं पिछले 10 वर्षों से खेती कर रहा हूं। कीट-पतंगों के लिए बाजार से कीटनाशक डाल-डालकर परेशान हो गया था। पैसा खर्च होने के साथ ही घर के लोग कीटनाशक खा-खाकर बीमार रहने लगे थे। मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही थी।” वे आगे बताते हैं, “नीलगाय का तो कोई समाधान था ही नहीं। मगर करीब दो साल पहले हमने अपने धान के खेत में एक टीन के डिब्बे में सामने से एक गोल छेद करके उसमें ढिबरी जलाकर खेत के एक कोने में रख दिया। रोशनी के डर से नीलगाय ने खेत में कदम भी नहीं रखा।”

पॉजीटिव व निगेटिव अर्थात जो कीट प्रकाश की तरफ आकर्षित होते हैं उन्हें फोटोटाक्सिज पॉजीटिव कहेंगे और जो कीट प्रकाश को देखकर अंधेरे की तरफ भागते हैं उन्हें फोटोटाक्सिज निगेटिव जैसे तिलचट्टा प्रकाश देख ले तो अंधेरे में घुस जाएगा। इस यंत्र को खेत पर लगाने से बहुत से कीट जो फसलों को नुकसान पहुंचाती हैं वे फसल के बजाय इस यंत्र की तरफ आकर्षित होते हैं।फिर जहां यह यंत्र लगा हो उससे दूर भागते हैं। दरअसल, मिट्टी का तेल फेरोमोन की तरह भी कार्य करता है तो प्रकाश के अतिरिक्त तेल की गंध भी कीटों को आकर्षित या अनाकर्षित करती है। इस प्रकार ज्यादातर कीट इस यंत्र के आसपास मंडराते हैं और ढिबरी की लौ में या तो मर जाते हैं या फिर इसी यंत्र के पास इकट्ठे रहते हैं। ऐसे में फसल सुरक्षित रहती है।
-कृष्ण कुमार मिश्र, वन्य जीव विशेषज्ञ

गुड्डू ने इस वर्ष सात बीघे धान में ये घरेलू और सस्ता यंत्र लगाया है। गुड्डू का कहना है कि धान की बुवाई के एक महीने बाद इस यंत्र को लगा दिया जाये और जब तक धान कटे नहीं तब तक खेत में लगा रहे। इस ढिबरी में प्रतिदिन शाम को मिट्टी का तेल भरा जाता है जो पूरी रात जलता है। गुड्डू आगे बताते हैं, “सिर्फ धान में ही नहीं बल्कि किसी भी फसल में इस यंत्र का इस्तेमाल किया जा सकता है। मिट्टी के तेल और टीन के डिब्बे के अलावा इस यंत्र की कोई लागत नहीं है। रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से अब किसान बच रहे हैं, क्योंकि इन कीटनाशकों के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान का अब उन्हें पता चल चुका है।”

“धान की फसल में पुष्पन के समय गंधी बग के अतिरिक्त अन्य कीट फसल को प्रभावित करते हैं। हमारे गाँव के गुड्डू ने एक चौकोर टीन के बक्से में जो एक तरफ से खुला है, में ढिबरी लगाकर मिट्टी के तेल से उसे प्रज्वल्लित कर खेत में एक बांस में टांग दिया। यह यंत्र रातभर खेत में रोशनी करता है। इस पारम्परिक गन्धी भगाने वाले यंत्र के कई फायदे हैं। कीट की एक विशेषता है कि ज्यादातर कीट फोटो टॉक्सिज होते हैं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

  

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