राजेश कुमार सिंह, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
उन्नाव। कस्बा बीघापुर में चलाए गए अतिक्रमण अभियान के नियमों को दरकिनार करते हुए गरीबों के आशियाने उजाड़ दिए गए, लेकिन राजनीति में अपनी छाप रखने वालों के चबूतरे पूरी तरह सुरक्षित बच गए है। वहीं ठेकेदार चबूतरों के नीचे नीचे खुदाई कर नाली बनाने को मजबूर है।
बीघापुर में रहने वाले घनश्याम (44 वर्ष) बताते हैं, “प्रशासन ने अभियान चलाकर मेरा चबूतरा तोड़ दिया, लेकिन उन लोगों के चबूतरे छोड़ दिए गए जिनकी राजनीति में ऊंची पहुंच है।” कस्बा बीघापुर में अतिक्रमण अभियान चल रहा है। अधिशासी अधिकारी के आदेश भी पहुंच वालों के आगे बौने हो गए हैं।
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एक सप्ताह पूर्व नागेश्वर रोड बीघापुर में तहसीलदार शशिकांत प्रसाद, नायब तहसीलदार रजनीश बाजपेई व कानूनगो उमेश पांडे की उपस्थिति में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया था। जिसमें बैंक से एक लाख रुपए का लोन लेकर घरेलू सामग्री बेचने के लिए गुमटी रखने वाले गरीब छेदी लुहार की गुमटी हटा दी गई। वहीं गरीब पान विक्रेता रामलाल चौरसिया, गुदिया चौरसिया की गुमटियां भी ढहा दी गयी। इस मामले में क्षेत्रीय लोगों के आरोपों पर तहसीलदार शशिकांत प्रसाद ने बताया, “आरोप निराधार हैं। अतिक्रमण की जद में आने वालों को ही हटाया गया है।”
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