यूकेलिप्टस की नर्सरी से किसान कमा रहे अच्छा मुनाफा

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यूकेलिप्टस की नर्सरी से किसान कमा रहे अच्छा मुनाफायूकेलिप्टस की नर्सरी अच्छा मुनाफा कमा रहे किसान।

बाबागंज (प्रतापगढ़)। जहां एक ओर किसान खेती से दूर हट रहे हैं, वहीं एक किसान धान-गेहूं की खेती छोड़कर यूकेलिप्टस की नर्सरी से हर साल लाखों रुपए कमा रहा है। प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 60 किमी पश्चिम दिशा में बाबागंज ब्लॉक के झाउ का पुरवा गाँव के रेशम लाल पटेल अपने एक बीघा खेत में यूकेलिप्टस की नर्सरी चलाते हैं।

पहले करते थे धान-गेहूं की खेती

तीन साल पहले तक रेशम लाल पटेल भी दूसरे किसानों की तरह धान-गेहूं की खेती करते थे। रेशम लाल पटेल बताते हैं, “यूकेलिप्टस की नर्सरी शुरू की तो लोग कहते कि क्या कर रहे हो नुकसान ही होगा, मगर अब तो हमारे भाई ने भी नर्सरी शुरू कर दी है। बारिश के मौसम में पौधों की ज्यादा बिक्री होती है। नहर किनारे होने से यहां पर ज्यादा लोगों ने अपने खेत के मेड़ों पर यूकेलिप्टस के पेड़ लगाए हैं।

आठ-दस हजार में होती है बिक्री

यूकेलिप्टस के पौधों के लिए लोग प्रतापगढ़ और कुंडा तक जाते थे, लेकिन अब उनकी नर्सरी से ही आस-पास के किसान यूकेलिप्टस के पौधे ले जाते हैं। हाईब्रिड किस्म की आने से उन्हें कुछ नुकसान भी हो रहा है। रेशमलाल पटेल के बेटे देवानन्द बताते हैं, “हाईब्रिड पौधा जल्दी तैयार होता है, जबकि देसी पौधा दस सालों में तैयार होता है जो आठ-दस हजार रुपए में बिक जाता है।“

लाखों में होती है कमाई

यूकेलिप्टस की लकड़ी की बाजार में भारी मांग है। सफेदे की लकड़ी प्लाइवुड, ईंधन तथा कागज बनाने के लिए लुगदी तैयार करने के काम आती है। इसकी लकड़ी फर्नीचर बनाने, पैकिंग पेटियां, बल्ली तथा बिजली के खंभे व बाड़ लगाने के काम भी आती है। सफेदे के पेड़ों की कटाई आठ से 10 वर्ष बाद करके लाखों रुपये कमाए जा सकते हैं। यदि खेत में पौध सघन लगाए गए हैं तो इन्हें ईंधन, लकड़ी व बल्लियों के लिए चौथे वर्ष के बाद भी काट सकते हैं। किसान सफेदे की बागवानी करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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