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प्रधान तो बदले पर समस्याओं का नहीं निकल पाया कोई समाधान

Swayam Project

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

औरैया। सदर विकास खंड की ग्राम पंचायत जसंतपुर में हर पांच वर्ष में प्रधान तो बदले पर गाँव के हालात जस के तस दिखाई दे रहे हैं। एक हजार की आबादी वाले गाँव में आधे लोग झोपड़ी और कच्चे मकान में रहने को मजबूर हैं। गाँव कनेक्शन की चौपाल में ग्रामीणों ने अपनी समस्याएं बताईं। अजीता देवी (30 वर्ष) का कहना है, “मैं और मेरे पति मजदूरी करके परिवार का पेट भरते हैं। हम सरकारी आवास की पात्रता की श्रेणी में आते हैं फिर भी प्रधान रुपए मांगती हैं।”

जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर बीहड़ी इलाके में बसे गाँव जसंतपुर में आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। हर चुनाव में प्रधानी के उम्मीदवारों ने गाँव के लोगों से पूर्ण विकास कराने का वादा किया, लेकिन प्रधानी पाते ही जनता से किए गए वादे भूल गए। यही कारण है कि आज गाँव की हालत बदहाल बनी हुई है।

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गर्मी के मौसम में चिलचिलाती धूप में जहां लोग बगैर छाते के घर से नहीं निकलते हैं। वहीं जसंतपुर के लोग खुले में धूप में रहने को मजबूर है। गाँव कनेक्शन की चौपाल में गाँव के लोगों ने बताया कि प्रधान से आवास दिलाने के लिए जब गुहार लगाई तो 50-50 हजार रुपए की मांग की गई है। आवास जहां गरीबों को नहीं है वहीं शौचालय, राशन कार्ड और पेंशन नहीं है। ये आवाज गाँव की उन महिलाओं की है जिनके पति सुबह मजदूरी करने जाते हैं और शाम को जब आटा लेकर आते हैं तभी खाना बनता है।

प्रीती देवी (32 वर्ष) झोपड़ी में रहकर अपना जीवनयापन करती हैं। शौच के लिए बाहर जाती हैं। प्रधान गाँव में न रहकर इटावा जिले में रहती हैं इसलिए वह किसी की नहीं सुनती हैं। वह कहती हैं, “प्रधान से शौचालय और आवास की मांग की तो वह रुपए मांग रही हैं।”

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बनवा रहे पात्रों की सूची

जसंतपुर गाँव की प्रधान कुसमा देवी सरकारी आवास देने के नाम पर पैसे मांगने के सवाल पर सटीक जवाब नहीं दे पाईं। चौपाल में उन्होंने कहा, “पात्रों की सूची बनवा रहे हैं।” जब उनसे सूची दिखाने के लिए कहा गया तो बोलीं पति ले गए हैं।

प्रधान होगा तलब

डीपीआरओ केके अवस्थी ने बताया, “प्रधान पर लग रहे आरोप संगीन है। अगर रुपए मांगने की शिकायत आती है तो प्रधान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

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