ऐसे अधिकारी हों तो हो सकता है हर समस्या का हल 

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ऐसे अधिकारी हों तो हो सकता है हर समस्या का हल फोटो साभार: गूगल।

स्वयं डेस्क

उन्नाव। जनता की समस्या को अपनी समस्या समझने वाले अधिकारी बिरले ही होते हैं। वर्तमान जिलाधिकारी अपने ऐसे ही स्वभाव के चलते जनता के बीच अपना अलग स्थान रखते हैं। डीएम सुरेन्द्र सिंह की इसी कार्यशैली की बानगी मंगलवार को उस समय देखने को मिली, जब वह नोट बंदी के दौर में बेटी के हाथ पीले करने की चिंता से ग्रसित मां के साथ बैंक जा पहुंचे। यहां उन्होंने शादी के लिए पैसों के जुगाड़ में लाइन लगाए लोगों के संबध में बैंक अधिकारियों से बात की। यही नहीं पैसों की कमी से परेशान मां की हर संभव मदद भी की।

बैंककर्मी बोले ऐसा कोई नियम नहीं

नोटबंदी के आदेशों के बीच जिलाधिकारी द्वारा की गई मदद वाकया मंगलवार तकरीबन सुबह 1 बजे का है। शहर के कालेज रोड की रहने वाली सुशीला कनौजिया आंखों में आंसू लिये कलेक्ट्रेट पहुंची। जहां उन्होंने डीएम सुरेन्द्र सिंह को बताया कि बुधवार को उसकी बेटी अंजली की बारात आनी है। अब तक के छोटे मोटे खर्च किसी तरह पड़ोसियों और रिश्तेदारों से लेकर चला लिया। लेकिन सब्जी, किराना, हलवाई, दूध आदि का भुगतान करने को पैसे नही हैं। बैंक में कार्ड और निर्धारित प्रोफार्मा पर आपकी अनुमति भी दिखाई, लेकिन बैंक वालो ने ऐसा कोई नियम न होने की बात कह कर हाथ खड़े कर दिया।

पूरी मदद का दिया आश्वासन

जिस पर जिलाधिकारी स्वयं छोटा चौराहा स्थित बैंक आफ इंडिया पहुंचे। जहां बैंक मैनेजर ने उन्हे नियमों की बाध्यता के बारे में बताते हुए असमर्थता जताई। बैंक अधिकारियों ने बताया कि नई गाइडलाइंस के तहत वह ढाई लाख रुपये का भुगतान नगद नहीं कर सकते। इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं जिसके तहत शादी के लिए खाते से पैसे निकालने वालों को भुगतान की पूरी जानकारी बैंक में देनी होगी। बैंक द्वारा असमर्थता जताने पर डीएम ने सुशीला से खर्च का ब्यौरा लिया और पूरी मदद का आश्वासन दिया।

सुशीला से उन सभी लोगों के बैंक एकाउंट नंबर ले लिए गए हैं, जिनको बड़ा भुगतान करना है। शादी के लिए ढाई लाख रुपये दिए जाने के निर्देश के तहत बड़ा भुगतान एनईएफटी या फिर डिमांड ड्राफ्ट के जरिए किया जाएगा। किराना से लेकर गेस्ट हाउस और कैटर्स वालों को सीधे खाते से भुगतान कराया जा रहा है।
सुरेंद्र कुमार सिंह, जिलाधिकारी

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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