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एटा के इन इलाकों में मजबूरी में बाजरा उगाते हैं किसान

agriculture

एटा। प्रदेश में अब झमाझम बारिश शुरू हो चुकी है, लेकिन एटा जिले के अधिकतर गाँव आज भी पानी की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं। हालात ये है कि इन गाँवों में रहने वाले किसान पानी की कमी के चलते अब धान की जगह बाजरा उगाने को विवश हैं। पानी की कमी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जनपद के सबसे बड़े कैनाल माचुआ रजवाहा पानी बगैर सूखा पड़ा है।

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निधौलीकलां विकासखंड़ के गाँव ओरनी निवासी किसान राजवीर सिंह कहते हैं, ‘‘पानी की पूर्ति हो तो धान की फसल किसान करें। हालांकि पानी के लिए ट्यूबवेल पर निर्भर रहना पड़ता है।” निधौलीकलां विकासखंड के गाँव बरई के किसान गिरीशचन्द्र यादव कहते हैं, ‘‘धान की फसल करने की इच्छा होती है, लेकिन पानी की कमी के कारण नहीं कर पाते। अभी बाजरा की फसल की तैयारी कर रहे हैं। बाजरा से मुनाफा तो कम होता है, लेकिन बाजरा की फसल में पानी कम लगाना पड़ता है इसलिए इसकी बुवाई करते हैं।”

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मारहरा विकासखंड़ के गाँव त्रिलोकपुर निवासी 60 वर्षीय किसान दिनेश चौहान बताते हैं, ‘‘अगर माचुआ रजवाहा में पानी आता रहे तो हम धान की फसल कर लेते हैं। लेकिन रजवाहा में कई वर्षो से पानी नहीं आ रहा। कई बार रजवाहा मे पानी के लिए अधिकारियों से लेकर मंत्री तक से सिफारिश की गयी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुयी।‘‘ एटा के जिला पंचायत सदस्य शंशाक यादव कहते हैं, “हमने जिला योजना समिति की बैठक में प्रभारी मंत्री अतुल गर्ग से माचुआ रजवाहा में टेल तक पानी पहुचाने की बात रखी है। माचुआ रजवाहा में अगर पानी आता रहे तो क्षेत्र के किसानों को बहुत फायदा होगा।”

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