स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
कन्नौज। इन दिनों मक्के की फसल में सूड़ी का प्रकोप अधिक फैल रहा है, जो भुट्टे को नुकसान पहुंचा रहा है। छिड़काव करके इस पर नियंत्रण किया जा सकता है।
भुट्टे में बड़ी सूड़ी कई फसलों में दिख रही है। इसको लेकर किसान चिन्तित हैं। सहायक विकास अधिकारी कृषि रक्षा किताब सिंह बताते हैं, ‘‘ये सूड़ी बालदार कीट हैं। इसमें मोनोक्रोटोफास 36 फीसदी एक लीटर प्रति हेक्टेयर का छिड़काव 600-700 लीटर पानी में मिलाकर नियंत्रित किया जा सकता है।”
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मक्का में लगने वाली सूड़ी स्पैडप टैरा फेमली का कीट है। यह काली-सफेद रंग की होती है। हरे रंग की सूड़ी तना छेदक होती है। इसका नाम एल्कोपरपा आर्मीजेरा है। 30-35 दिन की मक्का में सूड़ी लगनी शुरू हो जाती है। जमीन में अंडे होते हैं इसलिए यह फैलती है। दवाएं तो कई हैं, लेकिन मक्का बड़ी-बड़ी होती है बूंदे गिरने से इसके छिड़काव का असर शरीर पर पड़ता है।
कृषि विभाग में प्राविधिक सहायक आकाश वर्मा बताते हैं कि मक्का में लगने वाली सूड़ी स्पैडप टैरा फेमली का कीट है। यह काली-सफेद रंग की होती है। हरे रंग की सूड़ी तना छेदक होती है। इसका नाम एल्कोपरपा आर्मीजेरा है। 30-35 दिन की मक्का में सूड़ी लगनी शुरू हो जाती है। जमीन में अंडे होते हैं इसलिए यह फैलती है। दवाएं तो कई हैं, लेकिन मक्का बड़ी-बड़ी होती है बूंदे गिरने से इसके छिड़काव का असर शरीर पर पड़ता है।
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वो आगे बताते हैं, “ मक्का में अगर कृषि रक्षा रसायन नहीं डाला गया है तो किसान एक लीटर नीमापल 600-700 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं। रोकथाम के लिए यह भी प्रति हेक्टेयर के लिए है। छिड़काव बाली निकलते समय बाली में ही किया जाए। इससे सूड़ी नहीं लगेगी।
सहायक विकास अधिकारी कहते हैं कि ‘‘खेतों में खाने को नहीं मिलता है तो बरसीम वाली सूड़ी मक्का को नुकसान पहुंचाती है, जो फसल मिलती है उसी पर यह कीट आ जाता है।”
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