कभी करते थे दूसरे के खेतों में मजदूरी, आज 7 बीघे में केले से कमाते हैं लाखों रुपये हर साल

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कभी करते थे दूसरे के खेतों में मजदूरी, आज 7 बीघे में केले से कमाते हैं लाखों रुपये हर सालद्वारिका ने मजदूरी छोड़ दी और अब सात बीघा जमीन पर कर रहे केले की खेती।

कम्यूनिटी जर्नलिस्ट: सुबोध प्रजापति

बहराइच। द्वारिका बहराइच जिले के कर्तनियाघाट क्षेत्र के निवासी हैं। पहले जहां द्वारिका अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए मजदूरी करते थे, वहीं आज वो तकनीकी ढंग से केले की खेती कर रहे हैं। उन्होंने तकनीकी खेती के बारे में लोगों को जागरूक कर रही संस्था देहात (डेवलपमेंटल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन एडवांस्मेंट) के माध्यम से सीखा है।

द्वारिका की खेती से प्रेरित हुए किसान

द्वारिका मुख्य रूप से सब्जी की खेती करते हैं, जिसमे आलू, गोभी, लौकी, करेला, टमाटर शामिल हैं, लेकिन इस वर्ष इन्होंने केले की खेती की जो कि इस क्षेत्र के किसानों के लिए बिल्कुल नई है। द्वारिका की खेती से प्रोत्साहित होकर आज इस क्षेत्र के किसान लगभग 14 एकड़ कृषिक्षेत्र में केले लगाए हैं।

केले से हुई डेढ़ लाख की आमदनी

द्वारिका बताते हैं,'' इस बार हमें केले से लगभग डेढ़ लाख रुपए की आमदनी हुई है। केले में अच्छा मुनाफा पाने के लिए हमने सिंचाई के लिए सोलर पंप लगवाया है। इसके वजह से हमने अपनी खेती की लागत काफी कम की है। यह पंप हमने देहात संस्था और टाटा ट्रस्ट के सहयोग से लगवाया है।''

कभी दो बीघा जमीन थी, आज सात बीघा जमीन है

संस्था की मदद से मिले पंप से द्वारिका अपने चार एकड़ प्लाट की सिंचाई करते हैं। केले की तकनीकी खेती की बदौलत दवारिका अपने इस क्षेत्र के एक आदर्श किसान बन गए हैं। दो बीघे खेत से अपनी खेती-बाड़ी शुरू करने वाले द्वारिका आज सात एकड़ क्षेत्र में केले की खेती करते हैं, जिससे वो अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं और अपने बच्चों को पढ़ा लिखा रहे हैं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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